आतंक का पर्याय बनी गुलदार की दहशत का हुआ अंत

उत्तराखंड देहरादून

मादा गुलदार ने रेस्क्यू कर रही टीम को खूब छकाया। वन विभाग के विशेषज्ञ गुलदार को कभी चरी और तोर के खेतों खोजते तो कभी आसपास के मकानों के लॉन में दबिश डालते। लेकिन चालक गुलदार रेस्क्यू टीम सुबह नौ बजे से लेकर दोपहर दो बजे हैरान परेशान करती रही।

चूहे बिल्ली के इस खेल में आसपास के इलाकों के लोगों ने इस तमाशे का खूब मजा लिया। कल तक यही लोग गुलदार के नाम से ही थर-थर कांपते थे। रेस्क्यू टीम सुबह ही अपने लाव लश्कर के साथ मौके पर पहुंच गई थी। उनकी खुली शिकारी जीप में गुलदार को पकड़ने का सारा साजो सामान था। इसमें मजबूत जाल से लेकर लोहे की मोटी सलाखों वाला पिंजरा भी शामिल था।

गुलदार ने वन विभाग के कर्मचारियों को खूब दौड़ाया। घरों की छतों पर खड़े लोग भाग गया, भाग गया चिल्लाते तो रेस्क्यू टीम के लोग उसे खोजने के लिए चरी और तोर के खेतों की तरफ भागते। तभी उन्हें तेज रफ्तार से दौड़ती गुलदार दिखाई देती। वह जाल लेकर उसके पीछे भागते। गुलदार झाड़ियों में छुप जाती। एक बार तो रेस्क्यू टीम ने गुलदार को चारों तरफ से घेर लिया था। लेकिन डेढ़ साल की गुलदार सबको चकमा देकर फिर फरार हो गई।

यह सिलसिला कई घंटे तक चला। इस दौरान कई उत्साही युवा अपने इस दिलचस्प और रोमांचक नजारे को न केवल अपने मोबाइल फोन में कैद कर रहे थे, बल्कि लाइव टेलीकॉस्ट भी कर रहे थे। इसी बीच शोर उठा कि गुलदार एक घर में घुस गई है। रेस्क्यू टीम ने उस घर में डेरा डाल दिया।

गुलदार उस घर के बाहरी हिस्से में स्टोर में घुस गई। रेस्क्यू टीम स्टोर रूम के अंदर दाखिल हुई। इसी बीच ट्रैंकुलाइजर गन से गुलदार को बेहोश कर दिया गया। स्टोर रूम में अनाज की दो-तीन टंकियां रखी हुई थी। नीम बेहोशी में गुलदार इन्हीं टंकियों के पीछे छुप गई।

रेस्क्यू टीम के चार जवानों ने एक बड़ा जाल फेंककर गुलदार को काबू में किया। जाल में कसके बांधने के बाद गुलदार को जब बाहर लाया गया तो उसे देखने के लिए सैकड़ों लोगों की भीड़ एकत्र हो गई। भीड़ और शोर शराबे के बीच गुलदार को हरे रंग के लोहे के पिंजरे में कैद कर लिया गया।

रेस्क्यू टीम ने पिंजरे को अपनी खुली जीप में रखा और भीड़ को हाथ हिलाकर अपनी कामयाबी का संदेश देते हुए रायपुर रेंज कार्यालय की तरफ बढ़ चले। इस तरह पिछले एक महीने से आतंक का पर्याय बनी गुलदार की दहशत भरी रोमांचक कहानी का पटाक्षेप हो गया।

2 thoughts on “आतंक का पर्याय बनी गुलदार की दहशत का हुआ अंत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *