देहरादून : अपनी मखमली आवाज से उत्तराखंड की संस्कृति को दर्शाने वाली लोकगायिका हेमा नेगी करासी के गीतों के चमक भी बिखर रही है। हेमा ने विदेशी धरती पर उत्तराखंड की लोक जागर विधाओं, लोक गीतों से उत्तराखंड का मान बढ़ाया।
वह अब तक न्यूजीलैंड, दुब , इंग्लैंड, जापान में भी उत्तराखंडी संस्कृति के रंग बिखेर चुकी हैं। अभी भी लोक संस्कृति के संरक्षण व संवर्द्धन में जुटी रहने वाली हेमा नेगी करासी मांगल, लोकगीत और नृत्यों के साथ जागर का प्रचार-प्रसार कर पौराणिक गाथाओं को भी संजोने का कार्य कर रही हैं।
बचपन से ही मांगल, जागर और पर्यावरण से जुड़े गीतों के प्रति रुचि
- रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि ब्लाक स्थित ग्राम टुखिंडा निवासी स्व चंद्र सिंह नेगी की छह संतानों में चौथी हेमा नेगी करासी हैं।
- उनका जन्म पांच अप्रैल 1984 को हुआ था।
- हेमा को बचपन से मांगल, जागर और पर्यावरण से जुड़े गीतों के प्रति रुचि थी।
- जब वह चार वर्ष की थी, तब उनके पिता का देहांत हो गया था।
- हेमा की मां बची देवी ने बेटी के हुनर और हौसले को कभी कम नहीं होने दिया। जिसकी बदौलत हेमा गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ती रही।
इस तरह हुआ गायन का सफर
वर्ष 2003 में जीआईसी कांडई में वार्षिकोत्सव में हेमा ने ‘धरती हमरा गढ़वाल की’ गीत गाया तो समारोह में मौजूद आकाशवाणी व दूरदर्शन से आए सदस्यों ने भी उनकी सराहना की। यही से हेमा के लोक गायन की यात्रा की शुरूआत हुई। इंटर के बाद हेमा अपनी दीदी के साथ कोटद्वार चली गई।
यहां स्नातक की पढ़ाई के साथ संगीत में भी कार्यक्रमों को लेकर धीरे धीरे गाना शुरू किया। हेमा की आवाज में एक ठेटपन होने के कारण सभी ने उनकी आवाज को प्रसंशा की। बतौर लोक गायिका वर्ष 2005 में हेमा नेगी की पहली आडियो गढ़वाली एलबम ‘क्या बुन तब’ और लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के साथ ‘कथा कार्तिक स्वामी’ एलबम रिलीज हुई।
पति ने दिया साथ तो बढ़ता गया हौसला
वर्ष 2009 में हेमा नेगी का विवाह मलांओ-चोपता जाखडी रुद्रप्रयाग निवासी अनिल करासी के साथ हुआ। जिन्होंने हेमा को गायकी के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी एलबमों की बात करें तो 2011-12 में ‘माई मठियाणा देवी’, 2013 में ‘गिर-गेंदवा’ ने उन्हें नयी पहचान दिलाई। हेमा नेगी करासी के अब तक 50 गढ़वाली एलबम बाजार में आ चुके हैं।
हेमा नेगी करासी की प्रमुख एल्बम
- कथा कार्तिक स्वामी
- माँ मठियाणा माई
- आछरी जागर
- गिर गेन्दुवा
- मिठठु मिठठु बोली
- मैंणा बैंजी
- ढोल बाजे
- नरसिंह जागर
- खेला झुमेलो
- बाला मोहना
- सोभनू
- मखमली घाघरी
- मेरी बामणी
- सेमनागराज जागर
- चल बसंती
- उत्तराखंडी मांगल गीत
- मेरी राजुला
- संजू का बाबा
- गुडडू का बाबा
- मेरी पराणी
गायन के लिए देश-विदेश में मिले सम्मान
- वर्ष 2013 में लोक गायिका सम्मान
- वर्ष 2015 में उत्तराखंड सरकार का सर्वश्रेष्ठ लोक गायिका सम्मान
- वर्ष 2016 में यूथ ऑइकन नेशनल सम्मान
- यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड 2017
- बद्री केदार विकास समिति देहरादून उत्तराखंड 2016 के अध्यक्ष द्वारा सम्मानित
- 2015 और 2016 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा उत्तराखंडी सर्वश्रेष्ठ लोक गायिका सम्मानित
- 2015 में उत्तराखंड एसोसिएशन ऑफ न्यूज़ीलैंड द्वारा पुरस्कार
- 2015 में गोपाल बाबू गोस्वामी यूथ आइकॉन नेशनल अवार्ड
- 2011 में अखिल गढ़वाल सभा देहरादून द्वारा सम्मानित किया गया
- वर्ष 2017 में उत्तराखंड उदय सम्मान
- 2018 में उत्तराखंड प्रेस क्लब पुरस्कार
- सत्यसंस्कृति स्वर्ण ज्योति महासम्मान 2020
- केदार घाटी सम्मान 2019
- कल्याणी सम्मान 2022
- मां नंदा शक्ति सम्मान 2021