बुजुर्ग को डंडी से पांच किमी पैदल चल सड़क तक पहुंचाया, फिर मिला इलाज

उत्तराखंड देहरादून

 

चकराता। जौनसार के दूरस्थ गांव उदांवा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडीओ में जिम्मेदारों की लापरवाही से परेशान ग्रामीणों की विवशता झलक रही है, जो सरकार के आत्मनिर्भर गांव बनाने के दावों की भी पोल खेल रहा है। वीडियो में ग्रामीण एक बीमार बुजुर्ग को डंडी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाने के लिए उबड़ खाबड़ पगडंडियों पर चलते दिखाई दे रहे हैं।

पगडंडी भी ऐसी है कि डंडी को कांधा देने वाले एक भी व्यक्ति का पैर फिसला तो बीमार समेत डंडी को कांधा देने वाले सभी लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है। वीडियो रविवार सुबह का है। उदांवा की प्रधान तारा देवी, क्षेत्र पंचायत सदस्य महेंद्र चौहान ने बताया कि गांव के बुजुर्ग चौहान की अचानक तबीयत बिगड़ गई।

बुजुर्ग चलने फिरने में असमर्थ हैं। गांव से सड़क तक पहुंचने के लिए करीब पांच किमी की दूरी उबड़ खाबड़ पगडंडी से होकर नापनी पड़ती है। संकरी पगडंडी के एक ओर चट्टान है तो दूसरी ओर गहरी खाई है। बावजूद बुजुर्ग को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाना जरूरी था, लिहाजा ग्रामीणों ने डंडी में बुजुर्ग को लिटाकर अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था की।

तीन घंटे का सफर तय कर बड़ी मुश्किल से सड़क तक पहुंचे, जहां से वाहन द्वारा बीमार व्यक्ति को विकासनगर अस्पताल उपचार के लिए ले जाया गया। ग्रामीण अतर सिंह, प्रताप सिंह, जयपाल, मातवर सिंह, नंतराम, खजान सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में गांव के लिए सड़क स्वीकृत हुई थी, लेकिन वन विभाग से अनापत्ति नहीं मिलने के कारण सड़क निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका।

ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें अक्सर ऐसी परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। बर्फबारी और भारी बरसात के दौरान भी रोजमर्रा के सामान के लिए पांच किमी की पैदल दूरी नापनी पड़ती है। उबड़ खाबड़ पगडंडी पर सफर करते हुए दुर्घटना का खतरा बना रहता है। ग्रामीणों ने कहा कि 21वीं सदी में बीमार व्यक्ति को डंडी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाना सरकारों की नाकामी का नतीजा है।

तहसील क्षेत्र के सड़क सुविधा से विहीन गांवों की सूची शासन को भेजी जाएगी। साथ ही जिन गांवों के लिए सड़क निर्माण की सैद्वांतिक स्तीकृति मिल चुकी है, उनमें आने वाली रूकावटों को जल्द दूर कर निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। -सौरभ असवाल, एसडीएम चकराता

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