उत्तराखंड: लोनिवि में प्रमोशन में हुए फर्जीवाड़े पर बोले सतपाल महाराज, ‘CM से न कहता तो दर्ज न होती रिपोर्ट’

अल्मोड़ा उत्तराखंड

यात्रियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य अब पर्यटन मंत्री महाराज ने दिया बयान,  बताया क्यों है जरूरी।। || India Ka Media - Har Khabar Aap Tak

मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर ही रिपोर्ट दर्ज हो पाई। सचिवालय प्रशासन ने मामले की जांच की, लेकिन उनसे पूछा तक नहीं गया।

 

लोक निर्माण विभाग के विभागाध्यक्ष के प्रमोशन में हुए फर्जीवाड़े के मामले में मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि वे मुख्यमंत्री से नहीं कहते तो रिपोर्ट भी दर्ज नहीं होती। महाराज का आरोप है कि उन्हें अंधेरे में रखकर उनके निजी सचिव ने विभागाध्यक्ष के प्रमोशन की ई-फाइल प्रमुख सचिव को भेज दी। बता दें कि इस मामले में मंत्री के पीआरओ की शिकायत पर पुलिस ने निजी सचिव और विभागाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।

अमर उजाला से बातचीत में महाराज ने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर ही रिपोर्ट दर्ज हो पाई। सचिवालय प्रशासन ने मामले की जांच की, लेकिन उनसे पूछा तक नहीं गया। उन्होंने कहा, जब मंत्री ही कह रहा है कि मैंने किसी को भी डिजिटल हस्ताक्षर के लिए अधिकृत नहीं किया तो फिर सवाल क्यों। लेकिन, उसी तारीख को अन्य फाइलों पर भी तो अनुमोदन हुआ? इस प्रश्न पर महाराज का कहना है कि अयाज अहमद के प्रमोशन वाली फाइल को आगे नहीं बढ़ाने के लिए कहा गया था।

बकौल महाराज, मुख्यमंत्री से बातचीत होने के बाद ही रिपोर्ट दर्ज हुई। महाराज ने बताया कि सचिवालय प्रशासन सिर्फ पूछताछ के आधार पर रिपोर्ट दे सकता है। पुलिस जांच से ही असलियत सामने आ सकती है। बता दें कि महाराज के अनुरोध पर मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए थे। जिस पर सचिवालय प्रशासन ने जांच की लेकिन निजी सचिव को क्लीन चिट दे दी गई। महाराज ने फिर जांच का मुद्दा उठाया। अपर सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में एक समिति मामले की जांच कर रही है।

 

सवाल: महाराज ने ऑफलाइन फाइल पर आपत्ति दर्ज क्यों नहीं की
ई फाइल पर अनुमोदन के मामले में तत्कालीन निजी सचिव के रवैये से नाराज सतपाल महाराज चाहते तो विभागाध्यक्ष के प्रमोशन की ऑफलाइन फाइल पर आपत्ति दर्ज करा सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यह कहना है कि निजी सचिव के बचाव में खुलकर उतरे उत्तराखंड सचिवालय संघ का।

संघ के अध्यक्ष दीपक जोशी के मुताबिक, मंत्री ने फाइल देखी लेकिन कुछ नहीं लिखा। उनका मानना है कि निजी सचिव को फंसाया जा रहा है, जबकि सबसे बड़ी चूक यह है कि विभागीय मंत्री के नाम ई फाइलिंग के लिए जो डिवाइस दी गई है, उसके प्रयोग से उसी नंबर पर ओटीपी आएगा, जो पंजीकृत है। यह नंबर निजी सचिव का रजिस्टर्ड था, ऐसा क्यों? जोशी का कहना है कि मामले की जांच हो रही है। रिपोर्ट आने से पहले मुकदमा दर्ज कराया जाना उचित नहीं है।

31 मार्च को सेवानिवृत्त हो जाएंगे एचओडी
लोनिवि के विभागाध्यक्ष अयाज अहमद की पदोन्नति पर इधर विवाद छिड़ा है, उधर उनके सेवानिवृत्ति में बहुत अधिक समय नहीं बचा है। वह 31 मार्च 2023 को रिटायर्ड हो जाएंगे। उनकी पदोन्नति के लिए डीपीसी जनवरी 2022 में हुई थी और पदोन्नति आदेश मई माह में जारी हुए। तब से इसे लेकर विवाद चल रहा है।

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