उत्तरकाशी : बीते कुछ वर्षों से मध्य हिमालयी क्षेत्र में बुरांश पर जलवायु परिवर्तन का असर साफ दिखाई दे रहा है। स्थिति यह है कि दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में ही उत्तरकाशी वन प्रभाग की मुखेम रेंज के जंगल में बुरांश खिल उठे हैं।
जबकि, अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध राज्य वृक्ष बुरांश के फूल 15 मार्च से 30 अप्रैल के बीच खिलते हैं। समय से तीन माह पहले बुरांश के फूल खिलने से स्थानीय लोग भी हैरत में हैं। वनस्पति विज्ञानी इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन का परिणाम मान रहे हैं।
उत्तराखंड में समुद्रतल से 1650 मीटर से लेकर 3400 मीटर की ऊंचाई तक के क्षेत्र में बुरांश के जंगल हैं। विज्ञानियों के अनुसार उत्तराखंड में बुरांश की रोडोडेंड्रोन बारबेटम, रोडोडेड्रोन केम्पानुलेटम, रोडोडेंड्रोन एरबोरियम और रोडोडेंडोन लेपिडोटम प्रजाति पाई जाती हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ही दर्शा रहा बुरांश का खिलना
रामचंद्र उनियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय उत्तरकाशी में वनस्पति विज्ञान के प्रोफेसर महेंद्रपाल परमार कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन विश्वव्यापी है। उच्च हिमालयी क्षेत्र भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। समय से तीन माह पहले बुरांश का खिलना भी जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को ही दर्शा रहा है।
‘जलवायु परिवर्तन के चलते बुरांश समेत तमाम वनस्पतियों में फूल और फल समय से पहले ही आ रहे हैं। कारण, जो तापमान नियत समय पर मिलना चाहिए था, वह पहले ही मिल जा रहा है। इस बार बारिश की कमी के चलते तापमान शुष्क रहा। ऐसी स्थिति में दिन के समय तापमान तेजी से बढ़ता है। बुरांश के फूलों के लगातर समय से पहले खिलने और इस बार पूर्व के समय के हिसाब से भी पूर्व फ्लावरिंग इसी का नतीजा है। यह चिंता की बात भी है।’ -डा. रेणु सिंह, निदेशक, वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून
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There are obvious signs of depression, like feelings of sadness, hopelessness, and anxiety—but depression can also cause unexplained physical symptoms.