स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य भले बन गया है, लेकिन इस नीति को लागू किए पिछले छह महीने में आंगनबाड़ी केंद्रों का केवल नाम बदला है। 4447 आंगनबाड़ी केंद्रों का नाम बदलकर बालवाटिका किया गया है। इनमें पढ़ने वाले बच्चों के लिए अब तक पाठ्यचर्या भी तैयार नहीं है। इसके अलावा बेसिक के छात्र-छात्राओं की भी अभी मातृ भाषा में पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है।
प्रदेश के जिन राजकीय प्राथमिक स्कूल परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र चल रहे थे। महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग से उन आंगनबाड़ी केंंद्रों की सूची मंगवाकर उन केंद्रों का नाम बालवाटिका कर दिया गया है। 22 जुलाई 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन बाल वाटिकाओं की शुरूआत की थी। उस दौरान बताया गया कि इनमें पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं के लिए अलग से पाठ्यचर्या तैयार की जाएगी।
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक एनईपी की 10 प्रतिशत सिफारिशों को भी अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। जिन आंगनबाड़ी केंद्रों को बालवाटिका बनाया गया है। वे भी अभी महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग के अधीन हैं। इनमें विद्यालयी शिक्षा विभाग का कितना दखल होगा और कैसे होगा यह भी अभी स्पष्ट नहीं है।
स्वतंत्र राज्य मानक प्राधिकरण भी नहीं बन पाया
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