उत्तराखंड में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को वनों की आग बुझाने के लिए मोर्चे पर उतारा जाएगा। केंद्र सरकार ने तीन राज्यों में वनाग्नि को आपदा के श्रेणी में रखते हुए इससे निपटने के काम में एनडीआरएफ की तीन तीन टुकड़ियों को लगाया है। उत्तराखंड के अलावा आंध्रप्रदेश और असम को इसमें शामिल किया गया है।
एनडीआरएफ की पहली बटालियन आंध्रप्रदेश, 10वीं बटालियन असम में और 15वीं बटालियन उत्तराखंड में काम करेगी। किसी भी बड़ी आपदा से निपटने के लिए एनडीआरएफ के पास कुशल प्रबंधन तंत्र और जवान मौजूद हैं, लेकिन वनाग्नि की चुनौती से निपटने का अनुभव उसके पास नहीं था। इसके लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उत्तराखंड में बटालियन के 50 जवानों को केंद्रीय अकादमी राज्य वन सेवा (सीएएसएफओएस) देहरादून में छह से 18 फरवरी के बीच दो सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। ट्रेनिंग ले चुके जवान दूसरे जवानों को भी वनाग्नि से निपटने के गुर सिखाएंगे।
दो वन प्रभागों में दी गई 50 जवानों को ट्रेनिंग
सीएएसएफओएस की ओर से एनडीआरएफ के जवानों को मसूरी और नरेंद्रनगर वन प्रभाग में सैद्धांतिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। इसमें उन्हें जंगल की आग बुझाने के तरीकों के साथ ही इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के बारे में बताया गया। इसके साथ ही मॉक ड्रिल भी की गई।
केंद्र सरकार की ओर से निर्देश प्राप्त हुए थे। उत्तराखंड में एनडीआरएफ की 15वीं बटालियन इस काम को अंजाम देगी। एनडीआरएफ की देश में 16 बटालियन हैं, फिलहाल तीन बटालियन को इस काम के लिए चुना गया है।– सुदेश कुमार, 15 बटालियन कमांडेंट, एनडीआरएफ
वन विभाग अपने स्तर पर वनाग्नि से निपटने की कार्ययोजना तैयार करता है। मुश्किल की घड़ी में एनडीआरएफ का साथ मिलने पर इससे और आसानी से निपटा जा सकेगा।
– निशांत वर्मा, सीसीएफ, वनाग्नि एवं आपदा प्रबंधन