चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों बुरांश अपनी लालिमा बिखेर रहा है, जो कि बेहद सुंदरता से भरा है और प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर खींच रहा है। वैसे तो बुरांश का रंग लाल होता है लेकिन अब सफेद और गुलाबी बुरांश भी पहाड़ों में खिले दिखाई दे रहे हैं और ये फूल पहाड़ी क्षेत्रों में चार चांद लगाकर अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांश अपनी सुन्दरता और औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है. प्रायः बुरांश के खिलने का समय मार्च-अप्रैल होता है जो कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों में खिलता है। 1500 से 3600 मीटर तक पाए जाने वाला बुरांश न केवल अपनी सुन्दरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह अपने औषधीय गुणों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. इसी वजह से इसे नेपाल का राष्ट्रीय पुष्प का भी दर्जा प्राप्त है।
नागालैंड द्वारा वर्ष 1993 में बुरांश को सबसे ऊंचे पेड़ (लंबाई 108 फीट) के लिए गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराया गया था, जोकि कोहिमा में था। बुरांश का सामान्य वैज्ञानिक नाम रोडोडेंड्रोन आर्बोरियम (Rhododendron Arboreum) है। यह अफ्रीका के जंगलों और दक्षिणी अमेरिका को छोड़कर विश्व के सभी नमी युक्त क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत की 93 प्रतिशत प्रजातियां केवल हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसमें से 72 प्रतिशत दार्जिलिंग और सिक्किम हिमालय में मिलती हैं। बुरांश की लगभग 1025 प्रजातियां सिर्फ एशिया में पाई जाती हैं।
बुरांश में हैं कई औषधीय गुण
कर्णप्रयाग के राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर इंद्रेश पाण्डेय बताते हैं कि बुरांश अपने औषधीय गुणों के कारण ही आयुर्वेदिक पद्यति की एक प्रसिद्ध दवा ‘अशोकारिष्ट’ में प्रयोग किया जाता है। अच्छी एंटी-ऑक्सीडेंट एक्टिविटी के साथ-साथ बुरांश में अच्छी एंटी डायबिटिक, एंटी डायरिल तथा हिपेटोप्रोटिक्टिव एक्टिविटी होती है। बुरांश को हीमोग्लोबिन बढ़ाने, भूख बढ़ाने, आयरन की कमी दूर करने और हृदय रोगों में भी प्रयोग किया जाता है। इन्हीं सभी औषधीय गुणों से परिपूर्ण होने के कारण बुरांश से निर्मित बहुत उत्पाद मार्केट में उपलब्ध हैं। वहीं बुरांश का फूल दिल संबंधी बीमारियों और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी की दवा बनाने में काम आता है।
पारंपरिक उपयोग के तौर पर बुरांश के फूल की पंखुड़ियों का उपयोग खाने में किया जाता है। इसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है. लगभग सभी धार्मिक कार्यों में देवताओं को बुरांश के फूल चढ़ाए जाते हैं। बुरांश का फूल उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि भूटान, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, थाईलैंड और श्रीलंका में भी पाया जाता है।