Dehradun-Delhi Expressway: एक्सप्रेस-वे पर सबसे पहले दौड़ेगा दून में ट्रैफिक, डाटकाली टनल को लेकर जानें अपडेट

उत्तराखंड देहरादून

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आर्थिक गलियारे के रूप में निर्माणाधीन दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर सबसे पहले ट्रैफिक दून में ही दौड़ेगा। यहां आशारोड़ी से डाटकाली टनल तक करीब साढ़े तीन किमी हिस्से में निर्माणाधीन छह लेन सड़क के एक हिस्से (तीन लेन) का काम मई माह तक पूरा होने की उम्मीद है।

भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की मानें तो पहली लेन का काम नियत समय से पहले पूरा कर लिया जाएगा। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे के तहत गणेशपुर (यूपी) से आशारोड़ी (उत्तराखंड) के बीच 19.78 किमी हिस्से का काम तीन पैकेज में बांटा गया है। सबसे तेज काम पैकेज-तीन उत्तराखंड के हिस्से में करीब साढ़े किमी में किया जा रहा है।

नई सड़क पर डायर्वट कर दिया जाएगा ट्रैफिक
छह लेन में बनने वाली इस सड़क के एक हिस्से में इन दिनों ट्रैफिक गुजारा जा रहा है, जबकि दूसरे हिस्से में युद्धस्तर पर काम जारी है।  एनएचएआई की मानें तो अगले एक माह बाद निर्माणाधीन तीन लेन का काम पूरा करते हुए ट्रैफिक नई सड़क पर डायर्वट कर दिया जाएगा, जबकि दूसरी लेन पर काम शुरू कर दिया जाएगा।

बताते चलें कि एक्सप्रेस-वे के बन जाने से देहरादून से दिल्ली की दूरी 235 किमी से घटकर 210 किमी रह जाएगी। देहरादून से गाजियाबाद तक एक्सप्रेस-वे छह लाइन का रहेगा, इससे आगे यह मार्ग दिल्ली तक 12 लेन में रहेगा। 

वन्यजीवों की आवाजाही का रख गया है खास ख्याल

राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे इस हिस्से में वन्यजीवों की आवाजाही का भी खास ख्याल रखा गया है। यहां आशारोड़ी से डाटकाली टनल तक हाथियों की आवाजाही के लिए दो-दो सौ मीटर लंंबाई और सात मीटर ऊंचाई के दो एलीफेंट अंडर पास बनाए जा रहे हैं। इनका काम 50 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। इनके कंक्रीट के पिल्लर खड़े हो चुके हैं, अब इनमें स्टील गार्डर डाले जाएंगे, जो पहले से बनकर तैयार रहते हैं। इसके अलावा 40-40 मीटर के तीन एनिमल अंडर पास भी बनाए जा रहे हैं, ताकि छोटे जानवर भी जंगल के एक छोर से दूसरे छोर में आसानी से आवाजाही कर सकें।

 

सड़क पर न बहे जंगल का पानी बनाए जा रहे अंडर कैटल पास

जिस क्षेत्र में एक्सप्रेस-वे का निर्माण किया जा रहा है, वहां बरसात के मौसम में कई नाले जंगल से निकलते हैं। इन नालों का पानी सड़क पर बहे, इसके लिए आशारोड़ी क्षेत्र में 30-30 मीटर के तीन कैटल अंडर पास बनाए जा रहे हैं, जो पानी की निकासी में मददगार साबित होंगे। इसके अलावा जहां बड़े नाले गिरते हैं, वहां पर 12 सौ मिमी व्यास के चार कल्वर पाइप लगाए जा रहे हैं, ताकि जंगल के एक क्षेत्र से निकलने वाला पानी दूसरे क्षेत्र में आसानी से पास हो सके।

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