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अगले पांच साल में राज्य की आर्थिक विकास दर को दोगुना करने के लिए उत्तराखंड सरकार विकास योजनाओं पर होने वाले खर्च की निगरानी और पाई-पाई का हिसाब भी लेगी। इसके लिए राज्य में पहली बार बड़े स्तर पर निगरानी और मूल्यांकन तंत्र बनाया जा रहा है। सरकार कर्नाटक राज्य की तर्ज पर निगरानी और मूल्यांकन नीति बनाएगी। नियोजन विभाग नीति का ड्राफ्ट तैयार कर रहा है। उच्च स्तर पर ड्राफ्ट का अध्ययन करने के बाद इसका प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए लाया जाएगा।
वर्तमान में शासन स्तर पर विकास योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन के लिए राज्य योजना आयोग के स्तर पर व्यवस्था है लेकिन सरकार ऐसी निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली बनाना चाहती है, जो रियल टाइम के साथ निचले स्तर तक प्रभावी हो। सरकार का मानना है कि प्रत्येक वित्तीय वर्ष में सरकार हजारों करोड़ रुपये का बजट खर्च करती है।
बानगी के तौर पर वर्ष 2021-22 में सरकार का वास्तविक व्यय 50640 रुपये था। प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन के जरिये सरकार विकास योजनाओं की प्रगति, उनकी समयबद्धता और गुणवत्ता की परख करेगी। साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ाएगी। अर्थ एवं संख्या विभाग के अपर निदेशक डॉ. मनोज कुमार पंत के मुताबिक, नीति का ड्राफ्ट अंतिम चरण में है। कर्नाटक राज्य की नीति का भी अध्ययन किया जा रहा है। कर्नाटक में नीति काफी प्रभावी रही, जिसके बाद वहां प्राधिकरण बना दिया गया है।