Harela Festival 2023 News: इस बार हरेला की थीम भी ‘जल संरक्षण एवं जलधाराओं के पुनर्जीवन’ रखी गई है, ताकि पौधरोपण के साथ जलस्रोतों को भी बचाया जा सके।
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उत्तराखंड में सूखते जलस्रोतों के संरक्षण की दिशा में सरकार शीघ्र ही एक प्राधिकरण का गठन करेगी। इसका प्रस्ताव मंत्रिमंडल की बैठक में लाया जाएगा। हरेला पर्व की शुरुआत करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने खुद इसकी जानकारी दी।
वन विभाग की आर से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, रायपुर में आयोजित कार्यक्रम में धामी ने कहा कि हरेला पर्व सुख, समृद्धि, शांति, पर्यावरण और प्रकृति संरक्षण का प्रतीक है। यह पर्व सामाजिक सद्भाव का पर्व और ऋतु परिवर्तन का भी सूचक है। उत्तराखंड प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य है। हरेला एक ऐसा ही पर्व है, जो हमारी प्रकृति से निकटता को और अधिक प्रगाढ़ बनाता है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है क्योंकि जल संरक्षण के क्षेत्र में भी सर्कुलर इकोनॉमी की बड़ी भूमिका है। जब ट्रीटेड जल को फिर से उपयोग किया जाता है, ताजा जल को संरक्षित किया जाता है तो उससे पूरे ईको सिस्टम को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि राज्य की गैर हिम नदियों का ग्रीष्मकालीन प्रवाह बहुत कम रह गया है, जिसका प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन है। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सराहनीय प्रयास करने वाले स्कूलों और वनपंचायतों को सम्मानित भी किया। कार्यक्रम में करीब 500 पौधे रोपे गए।
इस अवसर पर सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, विधायक उमेश शर्मा काऊ, मेयर सुनील उनियाल गामा, प्रमुख सचिव आरके सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ) अनूप मलिक, वन संरक्षक यमुना वृत्त डॉ. विनय भार्गव, प्रभागीय वनाधिकारी वैभव कुमार सिंह और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।