सिस्मिक जोन के हिसाब से देहरादून के अलावा दो अन्य शहरों में डाटा सुरक्षित रखा जाएगा। 500 किमी की परस्पर दूरी वाले दो शहरों का चयन किया जाएगा। डाटा दोनों शहरों में भेजा जाएगा।
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उत्तराखंड के तीन लाख से अधिक कर्मचारियों, पेंशनरों का डाटा भूकंप आने पर भी सुरक्षित रहेगा। अब कोषागार, पेंशन एवं हकदारी निदेशालय की ओर से डाटा को क्लाउड रूप में देहरादून के अलावा दो अन्य ऐसे शहरों में रखा जाएगा, जो भूकंप के लिहाज से अलग-अलग सिस्मिक जोन (उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र) में आते हैं।
निदेशालय ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोषागार निदेशालय के कर्मचारियों-पेंशनरों का पूरा डाटा निदेशालय के अलावा अब देहरादून स्थित आईटीडीए के स्टेट डाटा सेंटर में रखा जा रहा है। देहरादून भूकंप के लिहाजा से संवेदनशील सिस्मिक जोन-4 में आता है। ऐसे में भविष्य में कोई बड़ी घटना होने पर डाटा सेंटर को भी नुकसान हो सकता है।
भुगतान का काम नहीं रुकेगा
इस आशंका को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि अलग-अलग सिस्मिक जोन वाले देश के दूसरे शहरों के आईटी मंत्रालय से मान्य डाटा सेंटरों में राज्य का डाटा रखा जाए। इसके लिए कोषागार निदेशालय ने टेंडर भी निकाला था।
निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि देहरादून के दो सेंटरों के अलावा देश में अलग-अलग सिस्मिक जोन के दो ऐसे शहरों के डाटा सेंटरों में क्लाउड के रूप में डाटा रखा जाएगा, जिनके बीच की दूरी कम से कम 500 किलोमीटर हो। किसी एक शहर में डाटा सेंटर को नुकसान होने की स्थिति में भी कर्मचारियों का वेतन, पेंशन व अन्य संबंधित भुगतान का काम नहीं रुकेगा। तत्काल दूसरे शहर से डाटा लेकर काम आगे बढ़ेगा।
बैंकों का डाटा रहता है कई शहरों में
अभी तक देश के तमाम बैंक ऐसे हैं जो कि भूकंप या अन्य आपदाओं से सुरक्षा के मद्देनजर अपना डाटा कई शहरों के डाटा सेंटरों में सुरक्षित रखता है। एक जगह से परेशानी आने पर दूसरे शहरों से डाटा लिया जा सकता है। ताकि बैंकिंग के कामकाज किसी भी सूरत में प्रभावित न हों। कोषागार निदेशालय पहली बार इस तरह की शुरुआत करने जा रहा है।
अब हम अपने डाटा को क्लाउड के रूप में अलग-अलग सिस्मिक जोन वाले दो अन्य शहरों में रखने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए टेंडर निकाला जा चुका है। यह डाटा आईटी मंत्रालय से मान्य डाटा सेंटरों में ही रखा जाएगा। प्रक्रिया चल रही है। -पंकज तिवारी, निदेशक, कोषागार, पेंशन एवं हकदारी