हरे पेड़ों का कत्ल: जिनके क्षेत्र में कटे पेड़, उन्हीं को बना दिया जांच अधिकारी, अब तक नहीं बनी जांच समिति

उत्तराखंड

सार

चकराता वन प्रभाग की डीएफओ कल्याणी नेगी की ओर से वन मुख्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसमें बताया गया है कि कनासर रेंज में अवैध रूप से पेड़ काटने का काला कारोबार कोविडकाल के दौरान शुरू हुआ।

विस्तार

जिनके क्षेत्र में कटे पेड़, उन्हीं को दे दी जांच! जी हां, चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज में अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की जांच भी प्रभाग के ही अधिकारी कर रहे हैं। जबकि इस मामले में वन अधिकारी-कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आने के बाद निलंबन तक की कार्रवाई हो चुकी है।

ऐसे में जांच दूसरे प्रभाग के अधिकारियों से नहीं कराने पर वन विभाग की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, चकराता वन प्रभाग की डीएफओ कल्याणी नेगी की ओर से वन मुख्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी गई है, उसमें बताया गया है कि कनासर रेंज में अवैध रूप से पेड़ काटने का काला कारोबार कोविडकाल के दौरान शुरू हुआ।

ऐसे में स्पष्ट है कि इस मामले में उनकी जिम्मेदारी के साथ पूर्व में यहां तैनात रहे अधिकारी भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, लेकिन यहां खुद डीएफओ की ओर से उप वन प्रभागीय अधिकारी मुकुल कुमार को सौंपी गई है, जो यहां एक साल से तैनात हैं। 

चकराता का मामला कहीं अधिक बड़ा
ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जिनके कार्यकाल में अवैध रूप से इतने बड़े पैमाने पर पेड़ काटे गए, वही जांच कैसे कर सकते हैं। जबकि उत्तरकाशी के पुरोला टौंस वन प्रभाग में मुख्यालय की ओर से दूसरी प्रभागों के अधिकारियों से जांच कराई गई। इसके नतीजे भी सबके सामने हैं। यहां विभाग की ओर से ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए डीएफओ सहित कुल 17 अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित किया जा चुका है। जबकि काटे गए पेड़ों की संख्या के हिसाब से चकराता का मामला कहीं अधिक बड़ा है।

इस संबंध में वन संरक्षक यमुना वृत्त डॉ. विनय भार्गव का कहना है कि स्थानीय अधिकारी-कर्मचारियों को इसलिए जांच में लगाया गया है कि उन्हें वहां चप्पे-चप्पे की जानकारी है। अपराध में स्थानीय समुदाय शामिल है। इसलिए स्थानीय अधिकारियों का होना जरूरी है। जहां तक दूसरे प्रभाग के अधिकारी से जांच कराए जाने का सवाल है, इस संबंध में भी विचार किया जा रहा है।

आरोपियों के घरों में नोटिस चस्पा

वन विभाग ने आरोपियों के नामों का खुलासा करने के साथ ही 17 लोगों को 21 मुकदमों में नामजद किया है। नामजद लोगों में प्रधानाचार्य, प्रधान और सहायक विकास अधिकारी जैसे लोगों के नाम शामिल हैं। वन विभाग ने इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस और राजस्व की टीम के साथ दबिश दी तो वह लोग अपने घर और प्रतिष्ठानों में ताले लगाकर फरार हो गए। रविवार को विभाग की ओर से आरोपियों के ठिकानों पर नोटिस चस्पा करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

टौंस में बढ़ेगा जांच का दायरा, आरोपी ठेकेदारों पर भी होगी कार्रवाई
पुरोला की टौंस वन प्रभाग का जांच का दायरा बढ़ाया जाएगा। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि अभी तक की जांच से स्थानीय लोग संतुष्ट नहीं हैं। शिकायत मिली है कि टौंस में लंबे समय से अवैध रूप से वनों के भीतर संरक्षित पेड़ों का कटान किया जा रहा था। इस प्रभाग में बीते तीन वर्षों में वन विकास निगम को जारी किए गए लॉट और अवैध रूप से काटे गए पेड़ों की विशेष जांच कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि अवैध रूप से काटे गए पेड़ों के मामले में किसी भी आरोपी को बख्शा नहीं जाएगा। संबंधित ठेकेदारों पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। बताते चलें कि अमर उजाला ने अपनी खबरों बीत तीन साल में अवैध रूप से काटे गए पेड़ों और ठेकेदारों के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का मामला प्रमुखता से उठाया था। जिसका वन मंत्री ने संज्ञान लिया है।