ओपीडी इलाज में सभी तरह की पैथोलॉजी जांच और दवाइयों को भी कैशलेस किया जाए। पूर्व में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने 31 मई को शासन को पैथोलॉजी जांच और दवाइयों को कैशलेस करने का प्रस्ताव भेजा था।
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उत्तराखंड के तीन लाख से अधिक कर्मियों और पेंशनरों को गोल्डन कार्ड पर अक्तूबर से कैशलेस पैथोलॉजी जांच और दवाइयों की सुविधा मिल सकती है। शासन ने राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण से जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाइयां मुहैया कराने के लिए दोबारा से प्रस्ताव मांगा है।
ओपीडी इलाज में सभी तरह की पैथोलॉजी जांच और दवाइयों को भी कैशलेस किया जाए। पूर्व में राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण ने 31 मई को शासन को पैथोलॉजी जांच और दवाइयों को कैशलेस करने का प्रस्ताव भेजा था। साथ ही अगस्त माह से इस सुविधा लागू करने की तैयारी थी। इस बीच प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने पद से इस्तीफा दिया।
अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान से सीईओ का पद वापस लेने से प्रस्ताव भी लटक गया। अब शासन ने प्राधिकरण से दोबारा से प्रस्ताव भेजने के लिए कहा है। अक्तूबर माह से कर्मियों और पेंशनरों को इसका लाभ मिल सकता है।
पूर्व में जो प्रस्ताव बनाया गया था और उसमें कुछ संशोधन होना है। शासन स्तर पर दोबारा से प्रस्ताव मांगा गया है। जल्द ही पैथोलॉजी जांच और दवाइयों को कैशलेस किया जाएगा। -आनंद श्रीवास्तव, सीईओ, राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण।
प्रदेश के कर्मचारी लंबे समय से पैथोलॉजी जांच व दवाइयों को भी कैशलेस करने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सहमति बनने के बाद भी मामला शासन और राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के बीच फंसा हुआ है, जिससे कर्मियों को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हमारी मांग है कि सरकार शीघ्र ही इस सुविधा को लागू करे।
-अरुण पांडे, अध्यक्ष, राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद