नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) इसकी योजना बना रहा है। एजेंसी राज्य को हर साल जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुकसान का भी आकलन करेगी। इस विषय पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार होगी जिसे 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जाएगा।
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प्रदेश सरकार विशेषज्ञ एजेंसी के माध्यम से यह पता लगाएगी कि राज्य के ग्लेशियर, नदियों, बुग्यालों व अन्य प्राकृतिक संसाधनों से देश को कितनी राशि की पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं दी जा रही हैं। एक मोटे अनुमान के अनुसार, उत्तराखंड के जंगलों, ग्लेशियर, घास के मैदानों और नदियों से प्रदान हो रही पारिस्थितिकी तंत्र सेवा का मौद्रिक मूल्य लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये प्रति वर्ष है।
इसका पता लगाने के लिए सरकार ने एजेंसी का चयन करने की कवायद शुरू कर दी है। यह पूरी कसरत 16वें वित्त आयोग के लिए की जा रही है ताकि जब वह राज्य में आए तो उसके सामने राज्य को ग्रीन बोनस दिलाने की मजबूत पैरवी की जा सके। नियोजन विभाग के सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी एंड गुड गवर्नेंस (सीपीपीजीजी) इसकी योजना बना रहा है।
एजेंसी राज्य को हर साल जलवायु परिवर्तन की वजह से होने वाले नुकसान का भी आकलन करेगी। इस विषय पर एक व्यापक रिपोर्ट तैयार होगी जिसे 16वें वित्त आयोग के समक्ष रखा जाएगा। 15वें आयोग का कार्यकाल वर्ष 2025-26 में समाप्त हो रहा है।