Pitru Amavasya: हरिद्वार में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, असम के सीएम बोले- सनातन धर्म नहीं हो सकता कभी खत्म

उत्तराखंड हरिद्वार

पितृपक्ष की अमावस्या के चलते आज हर की पैड़ी हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी है। अमावस्या पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में इस पुण्य का लाभ लेने के लिए सुबह-सुबह ही श्रद्धालु गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी हरिद्वार के प्राचीन नारायणी शिला मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंचे। यहां पितरों के लिए पूजन करने के बाद उन्होंने कहा कि सनातन कभी खत्म नहीं हो सकता। बताया कि वह हर साल अमावस्या के दिन  प्राचीन नारायणी शिला मंदिर आने की कोशिश करते है। आज भी वह पितृ अमावस्या के मौके पर नारायणी शिला मंदिर पहुंचे हैं।

इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म पर की जा रही लगातार बयान बाजी पर बोलते हुए कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि सनातन और सनातन से जुड़ी परंपराएं इस देश में खत्म हो जाए,लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि जब वह लोग भी नहीं थे तब से सनातन धर्म था। करीब 5000 साल पूर्व से सनातन धर्म और उससे जुड़ी परंपराएं चलती आ रही है। सनातन धर्म की की परंपराएं आगे भी इसी तरह चलती रहेगी।

वहीं गठबंधन द्वारा की जा रही बयान बाजी पर उन्होंने कहा कि यह जो गठबंधन के लोग सनातन धर्म पर बयानबाजी कर रहे है यह पाप का कार्य कर रहे हैं और इस पाप के लिए भारत के लोग उन्हें 2024 में जवाब देंगे ।

Pitru Amavasya 2023: Devotees Crowd gathered at Har Ki pauri Assam Cm also reached Haridwar Watch Photos
माना जाता है कि यदि किसी को अपने पितरों की मृत्यु कि तिथि ना पता हो तो वह पितृ पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या को पितरों को पिंडदान तर्पण कर सकता है। इससे पितरों को मुक्ति और मोक्ष मिलता है।
Pitru Amavasya 2023: Devotees Crowd gathered at Har Ki pauri Assam Cm also reached Haridwar Watch Photos
आज के दिन किया गया दान पुण्य कभी बेकार नहीं जाता है। नारायणी शिला के पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि पुराणों में कहा गया है कि जो व्यक्ति श्राद्ध पक्ष में किसी भी वजह से श्राद्ध नहीं कर पाता है तो वह इस पक्ष के आखिरी दिन पितृ विसृजनी अमावस्या को पिंडदान श्राद्ध आदि कर दे तो पितरों को सदगति मिलती है।
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यह भी मान्यता है कि हरिद्वार में नारायणी शिला पर अपने सभी भूले बिसरों और पितरों का पिंडदान व तर्पण करने से उन्हें प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है।
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हरिद्वार में स्थित नारायणी शिला में भगवान श्री हरि नारायण की कंठ से नाभि तक का हिस्सा है। नारायणी शिला के बारे में बताया जाता है कि यह श्री हरिनारायण का हृदय स्थल है। यहां पर आकर आप जो कुछ कहते हैं, वह भगवान को अपने हृदय में सुनाई देता है।