नदी के पानी में भारी मात्रा में लगातार मिट्टी बहने से सैकड़ों प्रजाति के जलीय जीवों को संकट बना हुआ है। लगातार हो रहे भूस्खलन से इस गांव के अधिकांश आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस गांव के बीच में लगभग छह इंच पानी निकल रहा है।
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बागेश्वर जिले का कुंवारी गांव पिंडर नदी के लिए अभिशाप बना है। पिछले साल की भांति इस बार भी शंभू नदी व पिंडर नदी ने गढ़वाल की कई नदियों को मटमैला किया हुआ है। कुंवरगढ़ से हरिद्धार तक लगभग 300 किलोमीटर नदी का पानी मटमैला बह रहा है।
2013 से कुंवारी गांव में भूस्खलन हो रहा है। नदी के पानी में भारी मात्रा में लगातार मिट्टी बहने से सैकड़ों प्रजाति के जलीय जीवों को संकट बना हुआ है। लगातार हो रहे भूस्खलन से इस गांव के अधिकांश आवासीय भवन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इस गांव के बीच में लगभग छह इंच पानी निकल रहा है। पानी के साथ मलबा शंभू नदी में मिल रहा है। जुलाई माह से लगातार यहां का मलबा शंभू नदी में गिर रहा है। शंभू नदी कुंवरगढ़ में पिंडर नदी में मिलती है और इसमें पानी मटमैला बह रहा है।
जलीय जीवों पर संकट
लगभग 55 किलाेमीटर के बाद देवाल में पिंडर नदी व कैल नदी का मिलन होता है। जो देवाल, थराली व नारायणबगण ब्लॉक से 60 किलाेमीटर दूरी के बाद कर्णप्रयाग में अलकनंदा से मिलती है। कुंवरगढ़ से हरिद्धार तक नदी मटमैला हो गई है। कुंवारी गांव की प्रधान धर्मा देवी ने कहा कि इससे जलीय जीवों पर संकट हो गया है। राजेंद्र बिष्ट, डिप्टी रेंजर बद्रीनाथ वन प्रभाग देवाल ने बताया कि 2022 में भी कई माह तक पिंडर नदी का पानी मटमैला रहा। कुंवारी गांव में लगातार भूस्खलन हो रहा है।
लगातार गंदा पानी से ईको सिस्टम व मछलियों के प्रजनन व संख्या में भी प्रभाव पड़ेगा। बरसात में गंदे पानी से बचने के लिए मछलिया आसपास के गदेरे जहां पर पानी कम होता है चले जाते हैं। आजकल गदेरों में पानी नहीं होता है। लगातार पानी में मिट्टी आने से छोटे बच्चों के गलफड़े चोक हो जाते है। अगर पानी में मिट्टी की मात्रा कम नहीं होगी तो मछलियों के बच्चे मर जाएंगे। नदियों में मछलियों की संख्या बहुत कम हो जाएगी। – जगदंबा राज, प्रभारी मत्स्य विभाग चमोली।