जमरानी बांध परियोजना से शहर के लिए अलग और नई पेयजल योजना बनेगी। नई पेयजल योजना की डीपीआर शासन को भेजी गई है। आईआईटी रुड़की प्रस्ताव का परीक्षण कर रही है। एक महीने में परीक्षण के बाद मंजूरी के लिए शासन में पेश की जाएगी।
विस्तार
जमरानी बांध परियोजना को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के तहत मंजूरी दी गई है। परियोजना की अनुमानित लागत 2,584.10 करोड़ रुपये है इसमें उत्तराखंड को 1,557.18 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता भी शामिल है। परियोजना को पूरा करने का निर्धारित समय मार्च 2028 है।
नैनीताल, ऊधमसिंह नगर, उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57 हजार हेक्टेयर की अतिरिक्त सिंचाई के अलावा हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों को हर साल 42,70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने का पानी मिलेगा। इससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी। यह पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध पानी से अलग होगा। 14 मेगावाट बिजली संयंत्र स्थापित कर 63.4 मिलियन यूनिट जल विद्युत उत्पादन किया जाएगा।
इस परियोजना में गौला नदी पर जमरानी गांव के पास अमृतपुर में बांध बनेगा। यह बांध मौजूदा गौला बैराज को पानी उपलब्ध कराएगा। इसकी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली है जो 1981 में पूरी हुई। इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल और ऊधमसिंह नगर, उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57,065 हेक्टेयर (उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर) की अतिरिक्त सिंचाई की जाएगी।
जमरानी बांध के लिए 600 करोड़ रुपये देगा यूपीजमरानी बांध परियोजना से उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश की लाखों की आबादी की सिंचाई और पेयजल की समस्या का समाधान होगा। आम जनमानस के साथ ही तराई-भाबर और यूपी के बरेली, रामपुर जिलों की खेती को पानी मिलेगा। यूपी और उत्तराखंड सरकार के बीच हुए एमओयू के तहत यूपी सरकार बांध के लिए 600 करोड़ रुपये देगी। यह धनराशि बांध और नहरों के निर्माण के साथ ही प्रभावितों के पुनर्वास पर खर्च की जाएगी। शेष खर्च उत्तराखंड सरकार वहन करेगी।
यूपी और उत्तराखंड की डेढ़ लाख हेक्टेयर भूमि की होगी सिंचाई
जमरानी बांध परियोजना इकाई के उपमहाप्रबंधक बीबी पांडेय ने बताया कि जमरानी बांध परियोजना से यूपी और उत्तराखंड की कुल 150302 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी। इसमें उत्तराखंड की 34720 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश की 115582 हेक्टेयर भूमि शामिल है। उत्तरप्रदेश की सिंचाई के लिए 61 मिलियन क्यूबिक मीटर और उत्तराखंड की सिंचाई के लिए 38.6 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।