शरद पूर्णिमा पर्व पर आज शनिवार सुबह से ही श्रद्धालुओं ने हर की पैड़ी के ब्रह्म कुंड क्षेत्र में गंगा में डुबकी लगानी शुरू कर दी थी। हालांकि दशहरे की रात से ही गंगा बंदी हो गई थी, लेकिन गंगा स्नान को देखते हुए यूपी सिंचाई विभाग ने हर की पैड़ी क्षेत्र में जल छोड़ दिया था जिसको लेकर श्रद्धालु खुश थे।
चंद्र ग्रहण को देखते हुए हर की पैड़ी पर डुबकी लगाने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई है। आचार्य विकास जोशी ने बताया कि 30 साल के बाद शरद पूर्णिमा पर होगा फिर एक बार ग्रहण का साया है। भारत में चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 1 घंटा 19 मिनट होगी।
अश्विन शुक्ल पूर्णिमा की रात आकाश से सोमरूपी अमृत की वर्षा होगी। वेदों में इसी सोम को अमृत बताया गया है। समुद्रमंथन के समय निकले 14 रत्नों में लक्ष्मी का इसी रात प्रादुर्भाव हुआ था। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की प्रकाशमयी रात्रि में अनादि राधा और अनादि कृष्ण ने पहला महारस स्वर्ग में किया था।
विद्वान बताते हैं कि श्रीमद्भागवत महापुराण, विष्णु पुराण के अनुसार समुद्रमंथन के समय जब अमृत निकला, वह शरद पूर्णिमा की ही रात थी।
शरद की रात्रि में ब्रह्मलोक से सोमरूपी अमृत की वृष्टि हुई।
मान्यता है कि इस रात्रि चंद्रमा की किरणों में छत, मैदान या घाट पर बैठना चाहिए।
इससे चंद्रमा से निकलने वाला अमृत मिलता है।