Uttarakhand News: प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए डीपीआर तैयार, लेकिन फंडिंग का इंतजार

उत्तराखंड

सार

बैठक में निर्णय लिया गया कि सभी जिले ईको टूरिज्म स्थल विकसित करने के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट की डीपीआर सबसे पहले जनपद स्तरीय समिति को सौंपेंगे। समिति के अनुमोदन के बाद वन क्षेत्रों से संबंधित डीपीआर मुख्य वन संरक्षक, ईको टूरिज्म एवं प्रचार-प्रसार को भेजी जाएगी।

विस्तार

प्रदेश में ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जिलों के स्तर पर डीपीआर तैयार कर ली गई है। अब जनपद स्तर पर विभिन्न योजनाओं में कितनी फंडिंग हो सकती है, इसका परीक्षण किया जा रहा है। शेष फंडिंग का इंतजाम राज्य सेक्टर और अन्य योजनाओं में किया जाएगा।

प्रदेश सरकार पर्यटन की दृष्टि से नए ईको डेस्टीनेशन विकसित करना चाहती है। ताकि चिह्नित पर्यटक स्थलों पर उमड़ने वाली पर्यटकों की भीड़ को उस ओर मोड़ा जा सके। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। सरकार का मानना है कि प्रदेश का अधिकतम भूभाग वन क्षेत्र होने के कारण यह प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

ईको पार्क विकसित किए जाने की योजना
इस संबंध में बीते दिनों मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में हुई बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा की गई थी। अब इस बैठक का कार्यवृत्त जारी किया गया है। इसके तहत सभी जिले ईको टूरिज्म स्थल विकसित करने के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट की डीपीआर सबसे पहले जनपद स्तरीय समिति को सौंपेंगे। समिति के अनुमोदन के बाद वन क्षेत्रों से संबंधित डीपीआर मुख्य वन संरक्षक, ईको टूरिज्म एवं प्रचार-प्रसार को भेजी जाएगी। वन क्षेत्रों से इतर डीपीआर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड को भेजी जाएगी। 

इस संबंध में प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने बताया कि चारधाम यात्रा मार्ग के आसपास अधिक से अधिक ईको पार्क विकसित किए जाने की योजना है। ताकि पर्यटकों की भीड़ को नए ईको टूरिज्म डेस्टीनेशन की ओर मोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि योजना में धन की कमी नहीं आने दी जाएगी।

जिलों में अलग-अलग निर्धारित होगा शुल्क

प्रमुख सचिव वन आरके सुधांशु ने बताया कि जिलों में ईको टूरिज्म से संबंधित शुल्क का निर्धारण जिलों के स्तर पर ही किया जाएगा। इसमें भौगोलिक परिस्थतियों, पर्यटकों की क्षमता और विकसित सुविधाओं का ध्यान रखते हुए शुल्क का निर्धारण किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जनपद स्तरीय ईको टूरिज्म समितियां अपने स्तर पर दरें निर्धारित कर सकेंगी।