रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के जिला कारागार का मुआयना करते हुए कैदियों की शिक्षा का बीड़ा उठाने के बाद वरिष्ठ जिला जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने पहल की। बीते वर्ष जून में जेल के अंदर पाठशाला की शुरुआत की गई थी।
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सलाखों के पीछे बंद बंदी-कैदियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए शुरू की गई पहल साकार होती दिखने लगी है। जेल के अंदर बीते डेढ़ साल पहले शुरू हुई पाठशाला में अब निरक्षर कैदी-बंदी पढ़ने-लिखना सीख गए हैं। जो कैदी-बंदी अपना नाम तक नहीं लिख पाते थे वे अब किताबें और अखबार पढ़ने लगे हैं।
प्रदेश की सबसे बड़ी मानी जाने वाली हरिद्वार जेल में वर्तमान में करीब 1300 बंदी-कैदी बंद हैं। रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी किरण बेदी के जिला कारागार का मुआयना करते हुए कैदियों की शिक्षा का बीड़ा उठाने के बाद वरिष्ठ जिला जेल अधीक्षक मनोज कुमार आर्य ने पहल की। बीते वर्ष जून में जेल के अंदर पाठशाला की शुरुआत की गई थी।
महापुरुषों के जीवन से ले रहे प्रेरणा
किरण बेदी की संस्था की ओर से भी कैदियों के लिए किताबें व स्टेशनरी दी गई थी। जिससे, बंदियों का ज्ञानवर्धन होने से उनके आचरण में सुधार हो सके। जेल के अंदर रोजाना पाठशाला चल रही है। शिक्षित बंदी-कैदी पाठशाला में निरक्षर कैदियों को अक्षर ज्ञान दे रहे हैं।
150 से 200 कैदी रोजाना पढ़ना-लिखना सीख रहे हैं। अधिकारियों की मानें तो पाठशाला की शुरुआत होने के बाद अब निरक्षर कैदी-बंदी किताबें और अखबार पढ़ने लगे हैं। लाइब्रेरी से किताबों को पढ़कर महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा ले रहे हैं।