Dehradun: प्रशासन ने काबुल हाउस खाली कराया, दरवाजों पर लगाई सील, पढ़ें क्या है पूरा मामला

उत्तराखंड देहरादून

सार

पिछले करीब 70 सालों से वहां रहने वाले लोगों ने कार्रवाई का विरोध भी किया। वहां रहने वाले परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें मकान खाली करने के लिए सूचना देर से दी गई।

विस्तार

देहरादून जिला प्रशासन ने शत्रु संपत्ति घोषित हुए काबुल हाउस को खाली कराने के लिए टीम भेज दी। टीम ने करीब 16 परिवारों से परिसर खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कराई। घरों में रखा सामान बाहर निकालकर दरवाजों पर सील लगा दी गई।

पिछले करीब 70 सालों से वहां रहने वाले लोगों ने कार्रवाई का विरोध भी किया। वहां रहने वाले परिवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें मकान खाली करने के लिए सूचना देर से दी गई। प्रकरण में हाईकोर्ट ने राहत देते हुए सभी परिवारों को मकान खाली करने के लिए एक दिसंबर तक का समय दे दिया है।

काबुल हाउस को शत्रु संपत्ति घोषित किया जा चुका है। आजादी के समय से यहां पर करीब 16 परिवार निवास कर रहे हैं। इन परिवारों का कोर्ट में मामला लंबित था। डीएम कोर्ट ने दो हफ्ते पहले अपने आदेश में कहा कि सभी परिवार 15 दिन के भीतर काबुल हाउस से कब्जा छोड़ दें।

जिला प्रशासन की टीम मौके पर कब्जा लेने के लिए पहुंच गई। इससे वहां पर अफरातफरी की स्थिति बन गई। यहां रहने वाले परिवारों ने अपना विरोध जताया। लेकिन टीम ने पुलिस के सहयोग से सभी के घरों में रखा सामान बाहर रख दिया। दरवाजों में सील लगाकर घरों के बिजली और पानी के कनेक्शन काट दिए। 

कुछ लोग अपना सामान लेकर चले गए, जबकि कई लोग देर शाम तक घरों के बाहर परिवार सहित बैठे रहे। डीएम सोनिका ने बताया कि कोर्ट में दिए गए आदेश के मुताबिक निर्धारित समय पर टीम को कब्जा लेने के लिए भेजा गया। यह सभी लोग हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि एक दिसंबर तक इन लोगों को समय दिया जाए। इस समयावधि में यह लोग खुद अपना कब्जा यहां से छोड़ देंगे, लेकिन कोर्ट का यह आदेश कार्रवाई पूरी होने के बाद आया।

काबुल हाउस पर अफगानिस्तान के शासक का था मालिकाना हक

अफगानिस्तान के शासक मोहम्मद याकूब खान का 19वीं और 20वीं में इस काबुल हाउस पर मालिकाना हक था। काबुल हाउस में रहने वाले अफगानी शाही परिवार के लोग देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए। 19 बीघा में फैले इस इलाके में तब से कुछ परिवार रह रहे थे। देहरादून की डीएम सोनिका ने मामले की लंबी सुनवाई के बाद यहां रहने वाले परिवारों को परिसर खाली करने का आदेश दिया था।