Monday, December 23, 2024

दीवाली पर वन विभाग के 2187 कार्मिकों को सरकार का तोहफा, मिलेगा रुका हुआ मानदेय

उत्तराखंड

पिछले कई माह से मानदेय नहीं मिलने से नाराज ये कार्मिक आंदोलनरत हैं। वन विभाग में बगैर पद सृजन के आउटसोर्स के माध्यम से लगे इन कार्मिकों के मामले में सरकार ने मानवीय आधार पर यह निर्णय लिया है। वन उप सचिव सत्य प्रकाश सिंह ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है।

HIGHLIGHTS

  1. उपनल, पीआरडी व अन्य स्रोतों से रखे गए आउटसोर्स कार्मिकों को मानवीय आधार पर सरकार ने दी राहत
  2. अनियमित रूप से आउटसोर्स कार्मिकों को रखने वाले अधिकारियों पर गिरेगी गाज, कार्रवाई के निर्देश

 प्रदेश सरकार ने वन विभाग के अंतर्गत उपनल, पीआरडी एवं अन्य बाह्य स्रोत संस्थाओं के माध्यम से वनों और वन्यजीव की सुरक्षा व प्रबंधन में लगे 2187 कार्मिकों को दीवाली पर्व पर बड़ी राहत दी है। उन्हें चार माह का मानदेय भुगतान करने को स्वीकृति दी है।

साथ ही शासन ने यह भी कहा कि बिना पद सृजन के इन कार्मिकों को अनियमित रूप से रखने वाले अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

पिछले कई माह से मानदेय नहीं मिलने से नाराज ये कार्मिक आंदोलनरत हैं। वन विभाग में बगैर पद सृजन के आउटसोर्स के माध्यम से लगे इन कार्मिकों के मामले में सरकार ने मानवीय आधार पर यह निर्णय लिया है। वन उप सचिव सत्य प्रकाश सिंह ने प्रमुख मुख्य वन संरक्षक को गुरुवार को इस संबंध में आदेश जारी किया है।

आदेश में इन कार्मिकों को जिस माह से मानदेय रोका गया, उससे चार माह या अधिकतम अक्टूबर माह तक मानदेय भुगतान की स्वीकृति दी गई है। आदेश में यह भी कहा गया कि बिना पद सृजित किए कार्मिकों को रखने वाले अधिकारियों के विरुद्ध अनुशासनिक एवं अन्य कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।

शासन ने अन्य आदेश में कुल 2187 पदों पर आउटसोर्स से रखे गए कार्मिकों के पदों को सृजित करने के वन विभाग के प्रस्ताव को आंशिक स्वीकृति दी है। इनमें से 1113 पदों को ही आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित करने की स्वीकृति दी गई।

इसके अतिरिक्त विभाग में सृजित पद से इतर रखे गए 94 वाहन चालकों के सापेक्ष 94 व्यक्तियों की सेवाएं आउटसोर्स के माध्यम से 31 मार्च, 2024 तक करने पर भी शासन ने मुहर लगाई है। वन विभागाध्यक्ष को अनियमित रूप से कार्मिकों को रखने वाले अधिकारियों का उत्तरदायित्व तय करते हुए कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।

विभागाध्यक्ष को इसका व्यक्तिगत रूप से अनुश्रवण करने के निर्देश भी हैं। शासनादेश जारी होने के बाद श्रमिकों को बिना अनुमति रखने के प्रकरण पर संबंधित अधिकारी एवं आहरण-वितरण अधिकारी के वेतन से वसूली की जाएगी।