शीतकाल के लिए चारधामों के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गईं हैं। आज गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालओं के लिए बंद कर दिए गए हैं। जबकि 15 नवंबर को बाबा केदार और यमुनोत्री मंदिर के कपाट विधि विधान से बंद होंगे।
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शीतकाल के लिए गंगोत्री धाम के कपाट आज श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। मां गंगा की डोली मुखवा के लिए रवाना हो गई है। वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रियाएं भी आज से शुरू हो गई है। धार्मिक परंपरा के अनुसार, पूजा-अर्चना और भोग लगने के बाद धाम परिसर में स्थित भगवान गणेश मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट 18 नवंबर को अपराह्न 3 बजकर 33 मिनट पर बंंद किए जाएंगे।
खरशालीगांव में स्थित मां यमुना मंदिर में भी मां यमुना के स्वागत की तैयारी चल रही है। यमुनोत्री धाम से यमुना के पुजारी पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल ने बताया कि कल 15 नवम्बर को भैया दूज के पावन पर्व पर 11 बजकर 57 मिनट पर निर्धारित समय पर मां यमुना के कपाट भी बंद कर दिए जाएंगे।और मां यमुना का उत्सव श्री विग्रह शीत कालीन प्रवास खुशी मठ, खरसाली के लिए अपने भाई शनि देव जी की अगुवाई में प्रस्थान करेगी।
इससे पूर्व कल 15 नवम्बर सुबह 8 बजे खरशालीगांव से यमुना के भाई शनिदेव महाराज की डोली बहन को लेने यमुनोत्री धाम के लिए रवाना होगी और 10 बजे धाम पहुंचेगी। उसके पश्चात विधि-विधान के विशेष पूजा अर्चना अभिषेक आदि कर शीतकाल के लिए छह माह के लिए मां यमुना मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे।