Uttarkashi Tunnel Collapse- कैविटी टूटने से हो रहे भूस्खलन यह मामला पहला नहीं है। सुरंग की कैविटी टूटने से पहले भी लूज मलबा गिर चुका है। नाम न लिखने की शर्त पर सुरंग निर्माण में सलाहकार सेवा देने वाली कंपनी के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने डीपीआर को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं। सुरंग निर्माण में कमजोर चट्टी की पुष्टि हुई है जिससे सुरंग में भूस्खलन हो रहा है।
उत्तरकाशी। चारधाम ऑल वेदर परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग कमजोर पहाड़ को खोदकर बनाई जा रही है। सुरंग निर्माण में कमजोर चट्टी की पुष्टि हुई है, जिससे सुरंग में भूस्खलन हो रहा है।
सुरंग में कैविटी टूटने से हो रहे भूस्खलन यह मामला पहला नहीं है। सुरंग की कैविटी टूटने से पहले भी लूज मलबा गिर चुका है। नाम न लिखने की शर्त पर सुरंग निर्माण में सलाहकार सेवा देने वाली कंपनी के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने डीपीआर को लेकर भी सवाल खड़े किए हैं।
खुदाई की शुरुआत में मिली कमजोर चट्टान
वरिष्ठ इंजीनियर ने कहा कि सिल्क्यारा सुरंग का जो डीपीआर में समिट किया गया था, वह धरातलीय स्थिति से मेल नहीं खा रहा है। डीपीआर में रॉक मास रेटिंग काफी अधिक बताई गई, परंतु जब सुरंग की खुदाई शुरू हुई तो क्लैस-3 व क्लैस-4 की कमजोर चट्टान मिली है। यह काफी लूज पहाड़ है।
उत्तराखंड शासन की ओर से भी सिल्क्यारा सुरंग में हुए भूस्खलन के विस्तृत अध्ययन को वरिष्ठ भूविज्ञानियों की एक समिति गठित की है, जिसने अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। सुरंग की डीपीआर रिपोर्ट और धरातलीय रिपोर्ट की सही जानकारी तभी मिल सकेगी जब समिति की रिपोर्ट सामने आएगी।
कमजोर चट्टान के कारण काम में देरी
भले ही सिल्क्यारा-पोलगांव सुरंग परियोजना को डिजाइन सेवा दे रहा बर्नार्ड ग्रुप ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर बताया है कि टनल निर्माण के शुरुआत में भूवैज्ञानिक स्थितियां नियोजन दस्तावेज की रिपोर्ट की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण साबित हुई है।
एनएचआईडीसीएल के इस सुरंग परियोजना की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। यह परियोजना चार वर्ष में पूरी होनी थी। इंजीनियरों के अनुसार सुरंग का निर्माण समय पर पूरा न होने का एक बड़ा कारण सुरंग के अंदर कमजोर चट्टान का होना है।
260 मीटर के बीच कैविटी खुली
वर्ष 2022 नवंबर और वर्ष 2023 के शुरू में भी इस सुरंग में कैविटी खुली और भूस्खलन हुआ, जिसके कारण काफी समय कैविटी को भरने और मलबा हटाने में लगा। परंतु इस बार शॉट क्रीटिंग के दौरान ही सुरंग के 205 से लेकर 260 मीटर के बीच कैविटी खुली और भारी भूस्खलन हुआ है, जिसने चिमनी का आकार ले लिया है।
इस सुरंग निर्माण में सलाहकार सेवा देने वाली एक कंपनी के एक वरिष्ठ इंजीनियर ने कहा कि जहां भी कमजोर चट्टान होती हैं, वह कैविटी खुलती है और भूस्खलन होता है।
भले ही वरिष्ठ इंजीनियर ने यह भी कहा कि पूर्ण निर्माण के बाद सिल्क्यारा सुरंग पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगी। कैविटी वाले क्षेत्र में शॉट क्रीटिंग किया जाएगा और फिर रॉक बोल्ड किया जाएगा। टनल की सुरक्षा के लिए रॉक बोल्डिंग सबसे महत्वपूर्ण है। रॉक बोल्डिंग होने के बाद सुरंग पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगी।