Uttarakhand Tunnel Collapse उत्तरकाशी टनल हादसे में दीपावली से ही 40 मजदूर मलबे में फंसे हैं। मजदूरों को बाहर निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है लेकिन इसमें कई बाधाएं आ रही हैं। कभी भूस्खलन तो कभी मशीन की खराबी के बीच अब यहां भूकंप के झटके भी महसूस किए गए हैं। इस बीच अब यूपी और झारखंड की टीमें रेस्क्यू के लिए पहुंच गई हैं।
HIGHLIGHTS
- उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
- वायुसेना के विमान से पहुंची मशीने
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे 40 मजदूरों को निकालने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। गुरुवार को भी मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन जारी है। सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू और समन्वय बनाने के लिए विभिन्न राज्यों के अधिकारियों के दल उत्तरकाशी पहुंच रहे हैं।
झारखंड से जैप आईटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भुवनेश प्रताप सिंह के नेतृत्व में एक टीम आई। इस टीम ने उत्तरकाशी में यहां अधिकारियों से श्रमिकों के बचाव को लेकर बात की। साथ ही सुरंग में काम करने वाले झारखंड निवासी श्रमिकों से भी बातचीत की।
झारखंड के मजदूरों को दिया आश्वासन
इसके अलावा सुरंग के अंदर फंसे झारखंड निवासी विश्वजीत कुमार वर्मा, सुबोध कुमार वर्मा का हालचाल जाना। झारखंड के अधिकारियों ने खोज बचाव अभियान तथा स्वजन को ढांढस देने में पूरा सहयोग करने का आश्वासन उत्तरकाशी जिला प्रशासन को दिया है।
यूपी के अधिकारियों ने जाना मजदूरों का हाल
इसके अलावा उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की ओर से नोडल अधिकारी अरुण मिश्रा उत्तरकाशी पहुंचे। जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन के अधिकारियों से भी बात की। साथ ही सिलक्यारा सुरंग में काम करने वाले उत्तर प्रदेश के श्रमिकों का हालचाल भी जाना। इसके अलावा सुरंग में फंसे उत्तर प्रदेश के आठ श्रमिकों की स्थिति के बारे में भी जानकारी ली।
पहुंची मशीन, अब तेज होगा रेस्क्यू
नई दिल्ली से मंगाई गई उच्च क्षमता की ड्रिलिंग मशीन को चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से सिलक्यारा स्थित सुरंग तक ग्रीन कारिडोर बनाकर पहुंचाया गया। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर ड्रिलिंग मशीन की अनलोडिंग और घटनास्थल तक उसके परिवहन के लिए समन्वय की जिम्मेदारी संभाल रहे उप जिलाधिकारी डुंडा बृजेश कुमार तिवारी ने बताया कि ड्रिलिंग मशीन तीन हिस्सों में सिलक्यारा तक पहुंचाई गई। इसके लिए चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी से सिलक्यारा तक करीब 32 किलोमीटर दायरे में लगभग दो घंटे के लिए ग्रीन कॉरिडोर स्थापित किया गया। देर रात मशीन के कल-पुर्जों की आखिरी खेप भी घटनास्थल के लिए भेज दी