Uttarakhand Tunnel सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए पिछले छह दिन से बचाव अभियान चल रहा है। आज सातवें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। लगातार आ रही मुसीबतों के चलते अब प्लान-सी तैयार किया जा रहा है। एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने बताया कि प्लान-सी के तहत सुंरग के अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वर्टिकल और हारिजांटल मार्ग बनाने की योजना है।
HIGHLIGHTS
- सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए जारी है रेस्क्यू ऑपरेशन
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने प्लान-सी का विकल्प तैयार कर रहा
सिल्क्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए पिछले छह दिन से बचाव अभियान चल रहा है। बचाव कार्य में लगी एजेंसियों ने श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने के लिए मलबे के बीच से ड्रिलिंग कर आधा रास्ता यानी 30 मीटर निकासी सुरंग तैयार भी कर ली है, लेकिन, इस कार्य में लगातार चुनौती भी पेश आ रही है, जिनका त्वरित गति से समाधान निकाला जा रहा है।
साथ में प्रयास यह भी है कि किसी भी परिस्थिति में बचाव अभियान रुकने न पाए। इसके लिए बैकअप के तौर पर मध्य प्रदेश के इंदौर से एक और औगर मशीन मंगाने के साथ ही सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने प्लान-सी का विकल्प भी रखा है।
सर्वे का काम भी है जारी
एनएचआइडीसीएल के निदेशक अंशु मनीष खलको ने बताया कि प्लान-सी के तहत सुंरग के अंदर फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वर्टिकल और हारिजांटल मार्ग बनाने की योजना है। इसके लिए विकल्प तलाशने को भूविज्ञानियों की टीम ने सर्वे भी शुरू कर दिया है। दिल्ली से आई जियो फिजिकल सर्वे टीम ने सुरंग के आसपास की पहाड़ी और निकटवर्ती खालों में सर्वे किया है। इस कार्य में विशेषज्ञों की टीम जीपीआर और सिस्मिक रिफ्लेक्सन तकनीक का उपयोग कर रही है।
वर्टिकल मार्ग बनाना है चुनौतीपूर्ण
सर्वे के लिए टीम एनएचआइडीसीएल के इंजीनियरों का भी सहयोग ले रही है। अंशु मनीष खलको ने बताया कि सुरंग के जिस हिस्से में श्रमिक फंसे हैं, वहां तक वर्टिकल मार्ग बनाने के विकल्प वाले एक स्थान से 103 मीटर की दूरी पर है। उन्होंने बताया कि यह कार्य काफी चुनौतीपूर्ण भी है। एनएचआइडीसीएल निदेशक ने कहा कि अभी औगर मशीन से ही निकासी सुरंग बनाने का कार्य चल रहा है। बैकअप के लिए दूसरी मशीन मंगवाई गई है।