Uttarkashi Silkyara Tunnel Collapse Rescue Updates in Hindi: दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू का आज 11वां दिन है। पल-पल के अपडेट पढ़ें यहां…
लाइव अपडेट
09:00 AM, 22-NOV-2023
रात भर ड्रिलिंग का काम चला
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए मंगलवार रात भर ड्रिलिंग का काम चला। ऑगर मशीन से 800 एमएम के छह पाइप डाले जा चुके हैं। 36 मीटर तक ड्रिलिंग की जा चुकी है। सातवें पाइप की वेल्डिंग का काम चल रहा है। ड्रिलिंग सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है। अब सुरंग में करीब 20 से 22 मीटर की दूरी रह गई है। मजदूर करीब 56 मीटर अंदर हैं। ऐसे में रेस्क्यू आपरेशन के लिए आज का दिन अहम है।
08:59 AM, 22-NOV-2023
सूरज ढलते ही सर्द हवाएं बन रहीं चुनौती
बचाव ऑपरेशन में तमाम एजेंसी के साथ ही पुलिसकर्मी, आईटीबीपी जवान भी जुटे हुए हैं। इस क्षेत्र में दिन में तो तापमान तेज धूप के बीच सामान्य रहता है लेकिन शाम को सूरज ढलते ही सर्द हवाएं चुनौती बन रहीं हैं। जगह-जगह अलाव जलाए जा रहे हैं। भारी ठंड के बावजूद बचाव दल से जुड़ी किसी भी टीम का हौसला कम नहीं है।
08:59 AM, 22-NOV-2023
भीतर की वीडियो पर आपत्ति, बढ़ी सख्ती
ऑपरेशन सिलक्यारा के दौरान मंगलवार को सुबह अचानक सोशल मीडिया में भीतर की गतिविधियों की कुछ वीडियो वायरल हो गई। इस पर प्रशासन ने सख्ती कर दी है। भीतर काम कर रहे मजदूरों के अलावा कर्मचारियों और अधिकारियों को भी भीतर की वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी से रोक दिया गया है।
08:58 AM, 22-NOV-2023
हर मशीन के इस्तेमाल से पहले पूजन
बचाव अभियान में इस्तेमाल के लिए आ रही हर मशीन को चलाने से पहले पूजा की जा रही है। मंगलवार को भी पूजा का यह नजारा देखने को मिला।
08:55 AM, 22-NOV-2023
Uttarkashi Tunnel Rescue Live: सुरंग में रात भर चला ड्रिलिंग का काम, कामयाबी बस चंद कदम दूर
उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए बचाव अभियान आज 11वें दिन भी जारी है। मंगलवार को सिलक्यारा सुरंग के भीतर फंसे मजदूरों की पहली तस्वीर सामने आई थी। इससे पहले टीम को सफलता मिली और छह इंच का दूसरा फूड पाइप मजदूरों तक पहुंचा दिया गया था। इसी पाइप से उन्हें खाने के लिए खिचड़ी और मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जर भेजे गए थे। वहीं अगर सबकुछ ठीक रहा तो बृहस्पतिवार को मजदूर बाहर की दुनिया में सांस ले सकते हैं।