Friday, December 27, 2024

Uttarakhand Tunnel Collapse: कभी जगी उम्मीद, तो कभी मायूसी; 41 मजदूरों के इंतजार में बीत रहा परिजनों का दिन

उत्तरकाशी़ उत्तराखंड

Uttarakhand Tunnel Collapse गुरुवार खोज बचाव अभियान का 12वां दिन जिंदगी की उम्मीद के साथ बेचैनी और इंतजार में गुजरी। यहां तक की खोज बचाव टीम का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के चेहरों पर भी अभियान को सफल बनाने को लेकर चिंताएं दिखी। दोपहर के समय वीआईपी दौरे और शाम को बौखनाग देवता की डोली पहुंची तो इस बीच गहमागहमी का माहौल दिखा।

 उत्तरकाशी। उत्तरकाशी टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए पिछले 12 दिनों से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। आज 13वें दिन उगते सूरज के साथ ही खराब मशीनों को ठीक करने का काम किया जा रहा है। उम्मीद की जा रही है कि गुरुवार को बंद हुआ अभियान एक बार फिर से जल्द ही शुरू हो जाएगा।

गुरुवार, खोज बचाव अभियान का 12वां दिन जिंदगी की उम्मीद के साथ बेचैनी और इंतजार में गुजरी। यहां तक की खोज बचाव टीम का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों के चेहरों पर भी अभियान को सफल बनाने को लेकर चिंताएं दिखी। दोपहर के समय वीआईपी दौरे और शाम को बौखनाग देवता की डोली पहुंची तो इस बीच गहमागहमी का माहौल दिखा।

टकटकी लगाए बैठे रहे ग्रामीण

सुरंग के निकट मीडिया गैलरी से लेकर खेत व सड़क के किनारे से, होटल और घर की छत में बैठकर आशा भारी निगाह से ग्रामीण की टकटकी सिर्फ सुरंग के मुहाने पर ही लगी रही। बुधवार की रात को उम्मीद थी कि खोज बचाव अभियान सफल हो जाएगा। इसी इंतजार में स्वजन, खोज बचाव में जुटे कर्मियों से लेकर मीडिया वाले जागे रहे।

सिलक्यारा में लगा रहा वीआईपी लोगों का आना जाना

गुरुवार की सुबह एक के बाद एक हेलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट शुरू हुई तो सिलक्यारा में गतिविधि बढ़ी। दिल्ली से ऑगर मशीन के सात ऑपरेटर हेलीकॉप्टर के जरिये सिलक्यारा पहुंचे। जिसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह और फिर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का काफिला आया तो लगा कि खोज बचाव टीम ने अपना अभियान पूरा कर दिया है।

 

सीएम के आने से बढ़ी बेचैनी

होटल में ठहरे स्वजन और मीडिया कर्मी व अन्य लोग सिलक्यारा के लिए दौड़ पड़े। करीब डेढ़ घंटे बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिलक्यारा से मातली की ओर रवाना हुए तो बेचैनी और इंतजार और बढ़ा। सुरंग में फंसे झारखंड निवासी विश्वजीत कुमार के भाई इंद्रजीत कुमार भी पिछले नौ दिनों से उत्तरकाशी सिलक्यारा में डेरा डाले हैं।

अपनों के इंतजार में परिवार

इंद्रजीत कहते हैं कि बुधवार को उन्हें खबर मिली थी की एस्केप टनल पूरी बनने वाली है। इस सूचना से घर में उत्साह का माहौल बना। आज मन में घबराहट भी है कि कहीं उत्साह को नजर न लग जाए और खोज बचाव अभियान में कहीं कोई लंबा अवरोध न बन जाए। इसी तरह से अन्य स्वजन के चेहरों पर बेचैनी और आंखों में इंतजारी दिखी। हर किसी की नजर सुरंग के मुहाने पर टिकी रही।

टीम ने बना रखा है हौसला

सुरक्षा कर्मियों, खबरनवीशों और आमजन दिन भर इसी इंतजार में रहे कि कब सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिक बाहर आएं। सुरंग के निकट होटल व घरों की छत में बैठी ग्रामीण महिलाएं भी स्थानीय बौखनाग देवता से प्रार्थना करते रहे कि जल्द से जल्द सुरंग में कैद श्रमिक सकुशल बाहर आए। खोज बचाव अभियान में जुटे तमाम एजेंसियों के कर्मियों के चेहरों पर वह खुशी तो नहीं थी जो बुधवार को दिखी, लेकिन टीम का हौसला बरकरार दिखा।