Uttarkashi Tunnel Collapseसिलक्यारा टनल हादसे में आज 14 दिन से 41 मजदूर फंसे हैं। हर रोज बाहर आने की उम्मीद से वह अपनी रातें गुजार रहे हैं। शुक्रवार को उम्मीद थी कि वह बाहर आ जाएंगे लेकिन एक बार फिर से मशीनों ने दगा दिया और ये आस खत्म हो गई। आज 14वें दिन एक बार फिर से इन्हें निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
HIGHLIGHTS
- उत्तरकासी टनल हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को बचाने की जारी है जंग
- पिछले 13 दिनों से फंसे हैं श्रमिक
उत्तरकाशी। सिलक्यारा में 13 दिन से फंसी 41 जिंदगियों को बाहर निकालने का अभियान पल-पल परीक्षा ले रहा है। पिछले तीन दिन से धीमा पड़ा बचाव अभियान जैसे ही गति पकड़ता है, वैसे ही दूसरी चुनौती सामने आ जाती है। शुक्रवार को भी अभियान मंजिल के पास पहुंचकर ठिठक गया और फिर से बचाव अभियान में जुटी मशीनरी का इम्तिहान शुरू हो गया। हालांकि, बचाव दल पूरी ताकत के साथ अंतिम पड़ाव तक पहुंचने के प्रयास में जुटे हैं।
गुरुवार दोपहर से थमी ड्रिलिंग को किसी तरह शुक्रवार शाम शुरू तो कर दिया गया, लेकिन करीब ढाई मीटर की ड्रिलिंग के बाद ही लोहे के अवरोध के चलते ऑगर मशीन को बंद करना पड़ गया।
मैनुअली मलबा हटाने की है तैयारी
बताया जा रहा है कि ड्रिलिंग करते समय सुरंग की रिब्स (सुरंग को सुरक्षा देने वाली लोहे की छड़ें) बीच में आ गईं, जिससे ऑगर मशीन पर अधिक दबाव महसूस हुआ और काम बंद करना पड़ा। इसके बाद अवरोध बनी रिब्स को गैस कटर से मैनुअली काटने का काम शुरू किया गया। देर रात तक रिब्स को काट लिया गया था, लेकिन ड्रिलिंग शुरू करने से पहले ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार (जीपीआर) से दोबारा स्कैनिंग शुरू की गई। जिससे यह पता लगाया जा सके कि ड्रिलिंग क्षेत्र में लोहे के और कितने अवरोध हो सकते हैं।
11 मीटर ड्रिलिंग है बाकी
रात 12 बजे तक काम रुका हुआ था। अधिकारियों के मुताबिक, ड्रिलिंग शनिवार सुबह तक शुरू होने की उम्मीद है। अब तक सुरंग में 49 मीटर के करीब ड्रिलिंग हो चुकी है, अभी श्रमिकों तक पहुंचने के लिए आठ से 11 मीटर ड्रिलिंग की जानी बाकी है।
पिछले 13 दिन से फंसी है 41 जिंदगियां
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से 50 किमी दूर यमुनोत्री राजमार्ग पर सिलक्यारा में चारधाम आलवेदर रोड परियोजना की निर्माणाधीन 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग के भीतर 12 नवंबर को भूस्खलन होने से आठ राज्यों के 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की दर्जनभर से अधिक एजेंसियां राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। अभियान में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है।
पीएम और सीएम ले रहे हैं पल-पल की अपडेट
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अभियान की निगरानी कर रहे हैं। अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुके 330 घंटों से अधिक समय से जारी बचाव अभियान में राहत एवं बचाव दल को तीन दिन से बाधाओं से जूझना पड़ रहा है।
बार-बार आ रही है बाधा
डा. खैरवाल के मुताबिक, गुरुवार और फिर शुक्रवार को राहत एवं बचाव दल ने कड़ी मशक्कत के बाद बाधाओं को दूर किया। पाइप के 1.2 मीटर मुड़े हिस्से को काटा गया और शाम को दोबारा ड्रिल शुरू की गई। इससे पहले ड्रिलिंग की राह की बाधा को जानने के लिए पहली बार जीपीआर को भी सुरंग में दाखिल कराया गया, जिसकी स्कैनिंग में पाया गया कि 5.4 मीटर की दूरी पर लोहे की कुछ खास बाधाएं नहीं हैं।
जीपीआर से हो रही है स्कैनिंग
इसी आधार पर ड्रिलिंग कराई गई, लेकिन करीब ढाई मीटर की दूरी पर ही तेज कंपन या किसी अन्य कारण से सुरंग की क्षतिग्रस्त रिब्स सामने आ गईं। ऑगर से इन्हें काट पाना संभव नहीं था। लिहाजा, ड्रिलिंग को बंद कर पाइप को बाहर निकाला गया। इसके बाद जीपीआर से दोबारा स्कैनिंग शुरू की गई, जिसकी रिपोर्ट रात 12 बजे तक नहीं आई थी।
पीएम मोदी ने लिया अपडेट
शुक्रवार को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर सुरंग में फंसे श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए जारी बचाव अभियान की जानकारी ली। 12 नवंबर को हुई इस घटना के बाद से प्रधानमंत्री लगातार मुख्यमंत्री से फोन पर बचाव अभियान की प्रगति जान रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी भी सिलक्यारा में डटे हैं।
वर्टिकल ड्रिलिंग में यहां आई बाधा
राहत एवं बचाव अभियान में जुटी मशीनरी ने ड्रिलिंग की बाधाओं के बीच सुरंग के ऊपर की पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग पर एक बार फिर गंभीरता से मंथन किया। इसमें यह बात सामने आई कि 1.2 मीटर व्यास और 88 मीटर की लंबवत ड्रिलिंग में एकमात्र बाधा सिर्फ अंतिम बिंदु पर लोहे के ढांचे के रूप में आएगी। हालांकि, अभियान का समय चार से पांच दिन बढ़ जाएगा।