ऑपरेशन सिलक्यारा : मशीन नहीं करा पा रही पार…सुरंग में फंसे मजदूर खुद बनेंगे खेवनहार, दो योजनाओं पर विचार

उत्तराखंड

सार

Uttarkashi Tunnel Rescue: इस बात पर भी विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।

विस्तार

उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन शुक्रवार शाम 24 घंटे बाद चली, लेकिन 1.5 मीटर आगे बढ़ने के बाद फिर लोहे का अवरोध आने से लक्ष्य से नौ मीटर पहले रुक गई। इसके बाद अवरोधों को काटकर हटाने का काम तो शुरू हुआ लेकिन इस बात पर भी विचार शुरू हो गया कि क्यों ने फंसे मजदूरों से ही अंदर की तरफ से नौ मीटर मलबा हटवा दिया जाए। दूसरा विचार यह चल रहा है कि ऑगर मशीन की जगह मैनुअली कचरा हटाना शुरू किया जाए।

बृहस्पतिवार शाम 4 बजे बेस हिलने से ऑगर मशीन ने काम करना बंद कर दिया था। मरम्मत आदि में करीब 24 घंटे बीत जाने के बाद मशीन 13वें दिन शुक्रवार शाम करीब 4:30 बजे चली तो उम्मीदें फिर जग गईं। लेकिन कुछ देर बाद ही रेस्क्यू टीमों को फिर झटका लग गया।

एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि करीब शाम 6:40 बजे मशीन की राह में फिर लोहे का अवरोध आने से काम रुक गया। अब तक मलबे में करीब 47 मीटर ही पाइप पहुंच पाया है। 

पिछले 24 घंटे में कब क्या हुआ

बृहस्पतिवार

  • सुबह 8 बजे : रात से रुकी मशीन को शुरू करने की तैयारी शुरू हुई।
  • सुबह 9 बजे : ड्रिल मशीन को दोबारा शुरू कर दिया गया।
  • शाम 4 बजे : मशीन के सामने फिर अवरोध आ गया। 800 मिमी का पाइप भी आगे से मुड़ गया। मशीन का बेस यानी प्लेटफार्म भी हिल गया। नतीजतन ड्रिलिंग रोकनी पड़ी।
  • रात 11 बजे : मशीन के भीतर ट्रंचलेस कंपनी के इंजीनियर प्रवीन यादव और बलविंदर घुसे। करीब आठ घंटे तक उन्होंने भीतर सरिये, 800 मिमी मुड़े हुए पाइप को काटकर बाहर निकाला।
  • रात 12 बजे : ऑगर मशीन का प्लेटफार्म मजबूत करने का काम तेजी से शुरू किया गया।

शुक्रवार को क्या क्या हुआ

  • सुबह 8 बजे : टनल के भीतर ऑगर मशीन रुकी हुई थी। बाहर सुरक्षित ड्रिल से पूर्व की तैयारियां की जा रहीं थीं।
  • सुबह 11 बजे : जियो फिजिकल एक्सपर्ट की टीम भीतर गई। करीब 45 मिनट तक उन्होंने भीतर की मैपिंग की और रिपोर्ट दी कि अगले 5 मीटर तक लोहे का कोई अवरोध नहीं है।
  • दोपहर 3:50 : एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद, उत्तराखंड के सचिव डॉ.नीरज खैरवाल ने ऑपरेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी तरह की बाधाओं को हटाकर ऑगर मशीन को दोबारा शुरू किया जा रहा है।
  • शाम 4:30 बजे : करीब 24 घंटे बाद ऑगर मशीन को फिर शुरू किया गया।
  • शाम 6:40 बजे : मशीन काफी धीमी गति से आगे बढ़ ही रही थी। करीब 1.5 मीटर चलने के बाद ही मशीन के सामने अवरोध आ गया। बताया जा रहा है कि इन अवरोधों में 25 मिमी तक के सरिये भी हैं। नतीजतन मशीन रोक दी गई। मशीन के बर्मे को भी नुकसान पहुंचा।
  • रात 8 बजे : मशीन के बर्मे को फिर बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज हुई। समाचार लिखे जाने तक भीतर की अड़चनों को दूर करने का काम जारी था।