अब तो निकालो सुरंग से : मुझे अपने घर जाना है..बच्चे बिलख रहे उन्हें गले लगाना है…सुनिए मजदूरों के दिल का हाल

उत्तरकाशी़ उत्तराखंड

सिलक्यारा सुरंग हादसे पर अब मार्मिक कविताएं भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही है। जिनके माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार से श्रमिकों को जल्द से जल्द सुरंग से बाहर निकालने की अपील की जा रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर प्रशांत चौहान ने इस हादसे पर एक मार्मिक कविता साझा की है। कविता की पंक्तियां कुछ इस तरह हैं कि अब तो निकालिए सुरंग से मुझको, मुझे अपने घर जाना है। किया था वादा जो परिवार से, वह वादा निभाना है।

निभाना है फर्ज बेटे का, कर्ज पिता का मुझे चुकाना है। पथरा गई होंगी मां की आंखें, उन्हें ढांढस दिलाना है। पहुंचकर पास पत्नी के खुशी के आंसु उसे रुलाना है। भाई के इंतजार को, अब और नहीं बढ़ाना है।

Uttarkashi Tunnel Collapse Rescue Operation in Silkyara Poignant poems now viral on social media
बैठा होगा मुहाने पर, उसे और अब नहीं जगा सकता। बच्चे बिलख रहे हैं, घर में उनको भी गले लगाना है।
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उत्तरकाशी के ही लोकगायक व कवि ओम प्रकाश सेमवाल लिखते हैं कि बूढ़ी मां की आंखें तरसी, कब आएगा मेरा बेटा बाहर, आहट सुनाई नहीं दे रही, मुझे चारों पहर।
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टनल के भीतर से चल रहे बचाव अभियान को झटका लगने के बाद रविवार को नए जोश के साथ बचाव दलों ने चौतरफा बचाव अभियान तेज कर दिया है।
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भीतर जहां फंसे ब्लेड को काटकर निकालने में तेजी आई तो ऊपर से भी ड्रिल शुरू कर दी गई। वहीं, टनल के दूसरे सिरे से भी एस्केप टनल बनाने का काम तेज कर दिया गया है।