केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण के न्यायाधीशों ने चर्चित आइएफएस (भारतीय वन सेवा) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के सेवा से संबंधित मामले में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है। कैट ने आदेश में संजीव के व्यवहार पर भी टिप्पणी की थी। इस पर संजीव ने अपने मामले को कैट की इस बेंच से हटाने और आदेश में की गई टिप्पणी हटाने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की।
नैनीताल। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के न्यायाधीशों ने चर्चित आइएफएस (भारतीय वन सेवा) अधिकारी संजीव चतुर्वेदी के सेवा से संबंधित मामले में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया है।
कैट के न्यायिक सदस्य मनीष गर्ग और प्रशासनिक सदस्य छबीलेंद्र राउल की नैनीताल पीठ ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया है कि उत्तराखंड के मुख्य वन संरक्षक (अनुसंधान) हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी बनाम केंद्र सरकार के मामले को किसी अन्य को सौंपने के लिए उचित निर्णय लेने के लिए कैट अध्यक्ष के समक्ष रखें।
कैट ने आदेश में संजीव के व्यवहार पर भी टिप्पणी की थी। इस पर संजीव ने अपने मामले को कैट की इस बेंच से हटाने और आदेश में की गई टिप्पणी हटाने के लिए नैनीताल हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जिस पर कोर्ट ने 21 नवंबर को सुनवाई करते हुए केंद्र को नोटिस जारी कर अगली तिथि 14 फरवरी 2024 तय की है।
कोर्ट ने कही ये बात
20 नवंबर को कैट की नैनीताल बेंच की ओर से पारित आदेश में उल्लेख किया है कि संजीव का व्यवहार निंदनीय है। साथ ही बेंच ने रजिस्ट्री को कारण बताओ नोटिस जारी कर आठ सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है। इसमें पूछा है कि संजीव की ओर से तीन अक्टूबर को दाखिल लिखित जवाब प्रत्यावेदन दस अक्टूबर तक बेंच की फाइल में क्यों नहीं लगाया गया।
क्योंकि बेंच ने जवाब दाखिल न करने के आधार पर संजीव का मामला खारिज कर दिया था। बेंच की ओर से आदेश देने के बाद भी लिखित प्रत्यावेदन दस अक्टूबर तक दाखिल नहीं किया गया था। कैट ने स्पष्ट किया कि हम अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। संजीव से संबंधित मामलों की सुनवाई में कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं है।
यह था मामला
दरअसल प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) की ओर से केंद्र में संयुक्त सचिव स्तर पर काम करने के लिए संजीव के नाम के पैनल को अनुमोदन नहीं करने, अपने मूल्यांकन और 360 डिग्री मूल्यांकन नियमों की प्रति तलब करने के लिए आइएफएस चतुर्वेदी ने कैट में याचिका दायर की थी।
इधर, संजीव ने कैट रजिस्ट्री में प्राप्त मुहर लगे दस्तावेज कोर्ट में पेश कर बताया था कि उनका प्रत्यावेदन तीन अक्टूबर को ही रजिस्ट्री को प्राप्त हो गया था। जहां से इसे इस मामले की फाइल में लगाने के निर्देश जारी किए गए थे। यह प्रकरण इसलिए चर्चा में आया था कि क्योंकि केंद्र ने शपथपत्र देकर बताया था कि 360 डिग्री अप्रेजल की व्यवस्था ही भारत सरकार में नहीं है। नवंबर में ही सरकार में काम करने के लिए पैनल को केंद्र ने खारिज कर दिया था।
अब तक कई न्यायाधीश हो चुके हैं अलग
इससे पहले संजीव से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, जस्टिस यूयू ललित, नैनीताल हाई कोर्ट के जस्टिस राकेश थपलियाल, कैट के पूर्व चेयरमेन जस्टिस नरसिम्हा रेड्डी, दिल्ली कैट के न्यायिक सदस्य आरएन सिंह अपने को अलग-अलग मामलों में सुनवाई से अलग कर चुके हैं।