Friday, November 08, 2024

Uttarkashi Tunnel Rescue: वर्टिकल ड्रिलिंग का ब्रेकथ्रू होगा चुनौतीपूर्ण, प्लानिंग शुरू; श्रमिकों के स्वास्थ्य पर लगातार रखी जा रही नजर

उत्तरकाशी़ उत्तराखंड

सिलक्यारा सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग कर तैयार की जा रही निकासी सुरंग का ब्रेकथ्रू (परिणाम) चुनौतीपूर्ण होगा। क्योंकि जब ड्रिलिंग के दौरान 86 से 88 मीटर नीचे खड़ी सुरंग आरपार होगी तो उस बिंदु पर सुरंग की पक्की छत को भी भेदना पड़ेगा यह काफी चुनौतीपूर्ण होगा। वहीं श्रमिकों के स्वास्थ्य पर लगातार रखी जा रही नजर है।

 देहरादून। सिलक्यारा सुरंग की ऊपरी पहाड़ी से वर्टिकल ड्रिलिंग कर तैयार की जा रही निकासी सुरंग का ब्रेकथ्रू (परिणाम) चुनौतीपूर्ण होगा। क्योंकि, जब ड्रिलिंग के दौरान 86 से 88 मीटर नीचे खड़ी सुरंग आरपार होगी तो उस बिंदु पर सुरंग की पक्की छत को भी भेदना पड़ेगा। निर्माणदायी संस्था राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद भी इसे चुनौती मान रहे हैं।

हालांकि, उन्होंने दावा किया कि इस चुनौती को पार करने के लिए योजना तैयार की जा रही है। सोमवार को एनएचआइडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद ने बताया कि वर्टिकल निकासी सुरंग मुख्य सुरंग के भीतर खाली हिस्से पर 300 से 305 मीटर की दूरी पर खुलेगी।

सुरंग की देखी जाएगी स्थिति

यह देखा जा रहा है कि ब्रेकथ्रू वाले भाग पर सुरंग की छत पर लोहे के ढांचे की स्थिति क्या है। वैसे प्रयास किए जा रहे हैं कि ब्रेकथ्रू सुरंग के दाएं छोर पर पांच से छह मीटर के दायरे में कराया जाए। इस भाग पर लोहे की बाधा अपेक्षित रूप से कम होने का अनुमान है। ड्रिलिंग के लिए पहाड़ी पर स्थान के चयन के दौरान भी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) के प्रबंधक जसवंत कपूर ने सुरंग की निर्माण कंपनी नवयुग के अधिकारियों से इस संबंध में जानकारी प्राप्त की थी।

वर्टिकल ड्रिलिंग के दौरान न सिर्फ हार्ड रॉक्स मिले, बल्कि पानी भी निकला

एनएचआइडीसीएल के प्रबंध निदेशक महमूद अहमद के मुताबिक, एसजेवीएनएल की निकासी सुरंग की वर्टिकल ड्रिलिंग के दौरान न सिर्फ हार्ड रॉक्स मिले हैं, बल्कि पानी भी निकला है। इसकी आशंका पहले से थी और इसे दूर करने की प्लानिंग भी की जा चुकी थी।

महमूद के अनुसार, निकास सुरंग पर सुनियोजित ढंग से आगे बढ़ने के लिए ट्रायल ड्रिलिंग की भी गई। यह ड्रिलिंग वर्टिकल माध्यम से ही 08 इंच के व्यास में 75 मीटर तक की गई। इसमें भी पानी निकला और हार्ड राक्स पाई गईं। ट्रायल ड्रिलिंग के दौरान जो भी असामान्य घटना हुई, उनका वैज्ञानिक विश्लेषण कराया गया और निकास सुरंग की ड्रिलिंग में उन आंकड़ों के मुताबिक रणनीति तैयार की गई। श्रमिकों की सेहत और वहां के माहौल की 24 घंटे निगरानी के लिए बचाव एजेंसियों ने रेस्क्यू रोबोट की मदद लेने की तैयारी कर ली है।

रोबोटिक्स सिस्टम पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक पर आधारित

ऑडियो-विजुअल व सेंसर आधारित यह रोबोटिक्स सिस्टम पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक पर आधारित है। इसके माध्यम से न केवल 24 घंटे श्रमिकों की सेहत की निगरानी की जा सकेगी, बल्कि सुरंग के भीतर वायु की गुणवत्ता की जानकारी भी मिल सकेगी।

इस रोबोटिक्स सिस्टम को लखनऊ स्थित रोबोज डोटिन टेक ने तैयार किया है। यह उन स्थानों पर भी हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा देने में सक्षम है, जहां मोबाइल नेटवर्क भी काम नहीं करता। इसे तैयार करने वाले रोबोज डोटिन टेक के संचालक मिलिंद राज के मुताबिक, श्रमिकों के लाइफलाइन पाइप के माध्यम से इस तकनीक को सुरंग के भीतर दाखिल किया जाएगा। इस तकनीक के प्रयोग से श्रमिक सुरंग के भीतर से ही अपना आडियो या वीडियो आसानी से बाहर भेज सकते हैं।

एआइ से स्वास्थ्य पर भी नजर

इस रोबोटिक्स सिस्टम में प्रयुक्त की गई एआइ (आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस) यह पता लगाने में सक्षम है कि सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों में से किसका स्वास्थ्य कमजोर दिख रहा है। एआइ तकनीक शारीरिक मूवमेंट, बोलचाल के ढंग, पुतलियों के झपकने की स्थिति व अन्य शारीरिक हावभाव के आधार पर यह सब कर पाने में सक्षम है। रोबोज डोटिन टेक के संचालक मिलिंद राज के मुताबिक, रेस्क्यू रोबोट में लगे सेंसर सुरंग के भीतर की हवा की गुणवत्ता बताने में भी सक्षम हैं। सुरंग के भीतर कार्बन डाई आक्साइड, मीथेन का स्तर असामान्य होने पर सेंसर अलार्म बजा देंगे।

 

‘केवट’ साबित होंगे रैट माइनर्स

सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव अभियान में मशीन से ड्रिलिंग के दौरान बाधा के बाद मैनुअल ड्रिलिंग के लिए पहुंची रैट माइनर्स की टीम ‘केवट’ साबित हो सकती है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ से सिलक्यारा पहुंची छह सदस्यीय रैट माइनर्स की टीम ने बचाव अभियान में लगी एजेंसियों में ऊर्जा का नया संचार कर दिया है। सोमवार सुबह इस टीम ने निकासी सुरंग के भीतर जाकर कार्य शुरू किया और सबसे पहले वहां फंसी औगर मशीन को काटकर बाहर निकाला।

इसके बाद टीम ने मैनुअली ड्रिलिंग शुरू की और देर शाम तक एक मीटर निकासी सुरंग और खोद दी। इस टीम की रफ्तार दो घंटे में एक मीटर निकासी सुरंग बनाने की है। टीम के एक सदस्य प्रसादी लोदी ने बताया कि उनके लिए यह कार्य चुनौतीपूर्ण जरूर है, मगर कोई जोखिम भरा नहीं है। निकासी सुरंग के लिए डाले गए 800 एमएम व्यास के पाइप के भीतर काम करने में टीम को कोई परेशानी नहीं आ रही। उन्होंने बताया कि टीम के सदस्य 600 एमएम व्यास के पाइप के अंदर बैठकर डेढ़ से दो किलोमीटर लंबी सुरंग खोद चुके हैं।