इंटक के प्रदेश अध्यक्ष को आरटीआई में मिली जानकारी से उपनल के नाम पर चल रही मनमानी स्पष्ट हो रही है। वैज्ञानिक से लेकर लाइनमैन, जेई तक के पदों पर भारी भरकम वेतन पर कर्मचारी व अधिकारी रखे गए हैं जबकि उपनल के पदों में ये पद शामिल ही नहीं हैं।
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प्रदेश में उपनल से भर्तियों के नाम पर विभागों ने जमकर मनमानी की है। सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सामने आई जानकारी चौंकाने वाली है। जो पद उपनल के दायरे में नहीं आते, उन पर भी उपनल से भर्ती करके 50 हजार रुपये तक वेतन दिया जा रहा है।
उत्तराखंड विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन (इंटक) के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कवि को आरटीआई में मिली जानकारी से उपनल के नाम पर चल रही मनमानी स्पष्ट हो रही है। वैज्ञानिक से लेकर लाइनमैन, जेई तक के पदों पर भारी भरकम वेतन पर कर्मचारी व अधिकारी रखे गए हैं जबकि उपनल के पदों में ये पद शामिल ही नहीं हैं।
विभागों ने अपने स्तर से पद बनाकर भर्तियां कर दी
कोटेश्वर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट टिहरी में एसएसओ व लाइनमैन, सिडकुल मुख्यालय देहरादून में स्टेना, जेई, असिस्टेंट आर्किटेक्ट, एई, विधि असिस्टेंट जैसे पदों पर 15 हजार से 46 हजार वेतन तक लोग रखे गए हैं। देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड में जेई के पदों पर 34 हजार से ऊपर वेतन पर उपनल के माध्यम से रखे गए हैं।
स्टेट बायोटेक डिपार्टमेंट में टेक्निकल ऑफिसर, कंप्यूटर ऑपरेटर, साइंटिफिक असिस्टेंट, अकाउंटेंट, साइंटिस्ट-बी जैसे पदों पर 49607 रुपये वेतन तक पर लोग रखे गए हैं। उत्तराखंड तकनीकी विवि में भी सिस्टम मैनेजर, असिस्टेंट अकाउंटेंट, पीए, प्रवर सहायक के पदों पर 24333 रुपये वेतन तक कर्मचारी रखे गए हैं। यूजेवीएनएल मुख्यालय में भी चपरासी, श्रमिक जैसे पदों पर 37 हजार तक वेतन पर भर्तियां की गई हैं। ये सभी वे पद हैं, जो कि उपनल के दायरे में ही नहीं आते। विभागों ने अपने स्तर से पद बनाकर भर्तियां कर दी हैं।