Sunday, September 08, 2024

गांव की माटी में ही देश सेवा का जज्बा, यहां हर घर ने देश को दिए सैनिक… कहानी उत्तराखंड के एक गांव की

उत्तराखंड

SAWAD Village उत्तराखंड के युवा देश की सेवा में अपनी जान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। यही जज्बा उत्तराखंड के गांव में देखने को मिलता है। ये गांव शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है। यहां पैदा हुए लाल समय-समय पर देश की आन बान शान की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर करते आए हैं।

HIGHLIGHTS

  1. देवभूमि उत्तराखंड सदियों से वीर सपूतों की जननी रही है
  2. चमोली जनपद के देवाल का सवाड़ गांव के हर घर में है सैनिक
  3. शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है सवाड़ गांव

 देवाल। देवभूमि उत्तराखंड सदियों से वीर सपूतों की जननी रही है। यहां पैदा हुए लाल समय-समय पर देश की आन बान शान की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर करते आए हैं। ऐसा ही एक गांव चमोली जनपद के देवाल का सवाड़ भी है, जिसे शहीदों के गांव के नाम से जाना जाता है।

इस गांव के 22 सैनिकों ने प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनकर अपनी वीरता का लोहा मनवाया है। उनकी याद में हर वर्ष सवाड़ में अमर शहीद सैनिक मेला सैनिक दिवस पर लगता है। इस वर्ष भी कल आज से दो दिवसीय शहीद मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसकी पूरी तैयारी कर दी गई है।

सवाड गांव ने दिए देश को जवान

सवाड गांव समुद्र तल से 5000 फीट की ऊंचाई पर रचा बसा है। वर्तमान में गांव की जनसंख्या 1225 है ,दशकों से इस गांव का सैन्य इतिहास रहा है। वर्तमान में भी इस गांव 115 सैनिक सेना में सेवारत है। जबकि 28 वीरांगनाएं , 72 पूर्व सैनिक है। गांव का सैन्य इतिहास यह है कि प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1919 तक 22 सैनिकों ने ब्रिटिश सेवा का हिस्सा बनकर जर्मनी की तानाशाही के विरुद्ध लड़ा गया था। जिसमें से दो शहीद हुए हैं। इन जांबाजों के नाम सवाड गांव में स्थापित स्मारक में दर्ज है।

हर युद्ध में देश के साथ खड़ा था गांव

वहीं द्वितीय विश्व युद्ध में 38, पेशावर कांड में 14 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी 17, 1971 बांग्लादेश युद्ध में एक, ऑपरेशन ब्लू स्टार एक सैनिक ने अपना योगदान था। हालांकि 22 युद्धवीर में गांव के कौन-कौन सैनिक शामिल थे, इसका लेखा-जोखा गांव के कुछ पूर्व सैनिकों के परिजनों के मिले मेडल भी उपलब्ध है।

प्रथम विश्व युद्ध में शामिल थे ये जांबाज

प्रथम विश्व युद्ध के रणबाकुरों के नाम जिसमें जवाहर सिंह मेहरा बादर सिंह, खेम सिंह, बलवंत सिंह मेहरा, खुशाल सिंह, नेत्र राम ,पदम सिंह, राम सिंह, गैर सिंह, हयात सिंह, जवाहर सिंह, प्रताप सिंह, श्याम सिंह, दरवान सिंह धपोला, काम सिंह, हुक्म सिंह, उदे सिंह, श्याम सिंह, केदार सिंह, रत्न सिंह, चिमण सिंह राणा हैं।

केवीसी विद्यालय की मांग

इस गांव में प्राथमिक विद्यालय के साथ इंटर कॉलेज भी है। यहां पर केंद्र विद्यालय खोलने की मांग लगातार हो रही है। मेला कमेटी के अध्यक्ष आलम सिंह ने कहा है कि पिछले छ: वर्ष से गांव में केन्द्रीय विद्यालय खोलने की मांग चल रही है। वर्ष 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय विद्यालय खोलने की घोषणा की थी। छ: वर्ष से बाद भी अभी घोषणा पूरी नहीं हुई है, जबकि ग्रामीणों ने 105 नाली जमीन स्कूल के लिए दान की है। वहीं चंदा कर स्कूल के लिए 12 टीन सेट भी बनाए है, लेकिन अभी तक स्कूल का संचालन शुरू नहीं हुआ है।

क्या कहते है विधायक

सवाड में केन्द्रीय विद्यालय खुलने की प्रक्रिया गतिमान है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से मिलकर ग्रामीणों की मांग को लेकर अवगत कराया जा चुका है। जल्द ही केंद्रीय विद्यालय खुलने की उम्मीद है।- भूपाल राम टम्टा, विधायक, थराली