304 मेगावाट क्षमता की परियोजना में जोशियाड़ा से धरासू विद्युतगृह तक बनी 16 किमी लंबी सुरंग से पानी के रिसाव की समस्या बनी हुई है। 2008 में परियोजना की कमीशनिंग के दौरान समस्या पहली बार सामने आई थी।
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मनेरी भाली द्वितीय चरण परियोजना की सुरंग में गमरी गाड से पानी का रिसाव हो रहा है। जल विद्युत निगम ने विशेषज्ञों की सलाह पर यहां जियो-फिजिकल टेस्ट करवाया था। अब रिसाव का ट्रीटमेंट विशेषज्ञों की सलाह पर किया जाएगा।
इसके लिए निगम भूगर्भ विशेषज्ञ व सिविल इंजीनियर, हाइड्रो पावर विशेषज्ञ से सलाह ले रहा है। 304 मेगावाट क्षमता की परियोजना में जोशियाड़ा से धरासू विद्युतगृह तक बनी 16 किमी लंबी सुरंग से पानी के रिसाव की समस्या बनी हुई है। 2008 में परियोजना की कमीशनिंग के दौरान समस्या पहली बार सामने आई थी।
तब इसका ट्रीटमेंट करवाया गया था, लेकिन दो साल पहले 2021 में यह समस्या फिर सामने आ गई। इसके बाद से ही निगम इसके ट्रीटमेंट की कवायद में लगा हुआ है। अब निगम इसके ट्रीटमेंट के लिए भूगर्भ विशेषज्ञ यूएस रावत और सिविल इंजीनियर व हाइड्रो पावर विशेषज्ञ वीके गुप्ता की सलाह ले रहा है।