Saturday, July 27, 2024

Roorkee News: भारत को आत्मनिर्भर बनाने को लिथियम बैटरी के विकल्प पर दिया जोर, 2030 तक 400 गीगावाट आरई के उपयोग का लक्ष्य

उत्तराखंड देहरादून

आइआइटी रुड़की के भौतिकी विभाग एवं सतत ऊर्जा केंद्र द्वारा आयोजित चार दिवसीय ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव पर दूसरी अंतरराष्ट्रीय बैठक का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके सारस्वत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में आयोजित ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिथियम बैटरी के विकल्प पर जोर दिया।

रुड़की। नीति आयोग के सदस्य डा. वीके सारस्वत ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की में आयोजित ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए लिथियम बैटरी के विकल्प पर जोर दिया। वहीं, उन्होंने अनुसंधान एवं विकास, विज्ञानियों, उद्योगों और नीति निर्माताओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला।

साथ ही बताया कि कैसे भारत कार्बन उत्सर्जन को कम करने और एक टिकाऊ समाज के निर्माण के लिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन व उसके भंडारण के रोडमैप पर आगे बढ़ रहा है।

आइआइटी रुड़की के भौतिकी विभाग एवं सतत ऊर्जा केंद्र द्वारा आयोजित चार दिवसीय ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव पर दूसरी अंतरराष्ट्रीय बैठक का गुरुवार को शुभारंभ हुआ। संस्थान के मल्टी एक्टिविटी सेंटर में आयोजित सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने किया।

इन विषयों पर हुई चर्चा

इस मौके पर पद्म भूषण डा. वीके सारस्वत ने ई-मोबिलिटी और स्थिर ऊर्जा भंडारण के लिए ली-आयन बैटरी, ली-आयन बैटरी, सुपरकैपेसिटर और ईंधन कोशिकाओं के अलावा विभिन्न प्रकार के ऊर्जा भंडारण उपकरणों की प्रासंगिकता पर चर्चा की।

सोडियम-आयन बैटरी प्रौद्योगिकी के प्रदर्शन को देखते हुए उन्होंने कहा कि आइआइटी रुड़की स्थित स्टार्टअप इंडी एनर्जी सामग्री से लेकर उपकरण निर्माण तक अच्छा काम कर रहा है। जो स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला के कारण अन्य प्रौद्योगिकियों पर उनकी बढ़त को दर्शाता है। कहा कि इस सोडियम-आयन बैटरी तकनीक को सामूहिक रूप से बढ़ाना होगा।

2030 तक 400 गीगावाट का अनिवार्य लक्ष्य

आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने कहा कि 2030 तक 400 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के उपयोग का अनिवार्य लक्ष्य है। उन्होंने जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करते हुए परिवहन को विद्युतीकृत करने और नवीकरणीय ऊर्जा को तैनात करने की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया।

एमआरएस-सिंगापुर के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक और एमेरिटस अध्यक्ष एवं आइयूएमआरएस के निदेशक प्रो. बीवीआर चौधरी ने भी विचार रखे। इस मौके पर टेक्सास विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अरुमुगम मंथिरम, प्रो. सतीश चंद्र ओगले, प्रो. राम बी गुप्ता, प्रो. डोमिनिक गयोमार्ड, प्रो. सौमित्र सतपथी आदि उपस्थित रहे।

600 प्रतिभागी ले रहे हैं भाग

रुड़की: ऊर्जा भंडारण उपकरण-2023 और उद्योग-अकादमिक कान्क्लेव (आइएमईएसडी) के संयोजक प्रोफेसर योगेश कुमार शर्मा ने बताया कि चार दिवसीय सम्मेलन का आयोजन नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और रक्षा अनुसंधान व विकास संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से किया जा रहा है।

इसमें आइआइएससी, आइआइटी और संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर, स्वीडन, फ्रांस एवं संयुक्त अरब अमीरात के विभिन्न संगठनों के वक्ता, भारतीय संस्थानों और अनुसंधान संगठनों के प्रतिनिधि समेत लगभग 600 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

 

उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण, स्वच्छ ऊर्जा के साथ विनिर्माण और टिकाऊ गतिशीलता के लिए ऊर्जा भंडार, उपकरणों के क्षेत्र में नवाचार की आवश्यकता पर जोर दिया। डा. शर्मा ने सुरक्षित, पर्यावरण-अनुकूल और लागत प्रभावी इलेक्ट्रिक वाहनों और ग्रिड भंडारण के लिए स्वदेशी बैटरियों की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।

वैश्विक विशेषज्ञों को एकजुट करना उद्देश्य

आइआइटी रुड़की में आयोजित आइएमईएसडी-2023 सम्मेलन का उद्देश्य ऊर्जा भंडारण उपकरणों के क्षेत्र में वैश्विक विशेषज्ञों को एकजुट करना, अंतः विषय चर्चाओं और सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही कार्यक्रम का केंद्रीय विषय हाल के रुझानों और भविष्य के अनुसंधान दिशाओं का पता लगाने के लिए विविध ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों को एक आम मंच पर लाना है।

भारत में ऊर्जा भंडारण उपकरणों की वर्तमान स्थिति, चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर ध्यान देने के साथ सम्मेलन में लिथियम-आयन बैटरी, ली-आयन बैटरी, सुपर कैपेसिटर, हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था, सिस्टम डिजाइन और एकीकरण से अलग जैसे विषयों पर समानांतर संगोष्ठी शामिल है।

उत्पादों और प्रोटोटाइप का होगा प्रदर्शन

शुक्रवार को रक्षा-उद्योग-अकादमिया कान्क्लेव में विभिन्न रणनीतिक अनुप्रयोगों में उपयोग की जाने वाली 10 अलग-अलग डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा बैटरी और ईंधन कोशिकाओं पर एक प्रदर्शनी शामिल की जाएगी। इसके अलावा अन्य प्रमुख संगठन जैसे-एआरसीआइ, आइआइटीआर, आइआइटीबी, आइआइटी रोपड़, डीएसटी (सी3ई डिवीजन), हैदराबाद बैटरी लिमिटेड, ऊर्जा एनर्जी, इंडी एनर्जी और कई अन्य अपने उत्पादों और प्रोटोटाइप का प्रदर्शन करेंगे।