शहनाइयों के सीजन में दिल्ली वाली, काजल, परी, पवन और प्रिंस समेत पूरे कुनबा अपना जलवा खूब बिखेर रहा है। कोई अपने दूधिया और सफेद रंग के कारण चर्चा में रहा, तो कोई ऊंचाई और नैन नख्श को लेकर। यह जिक्र उन बेहद खूबसूरत घोड़े-घोड़ियों का है, जो घुड़चढ़ी से लेकर बग्घियों तक में दून के दूल्हों की पहली पसंद बन गए हैं। इनके अलावा, फिल्मी अंदाज में बनीं दून की बग्घियां भी आकर्षण का केंद्र हैं।
वेडिंग डेस्टिनेशन बन चुके दून में आकर्षक घोड़ों और बग्घियों की मांग में खूब इजाफा हुआ है। घोड़ा-बग्घी वाले कई नस्लों के सुंदर घोड़े लाकर बग्घियों का पूरा बेड़ा तैयार कर चुके हैं। घोड़े-बग्घी का काम करने वाले आशीष तलवार बताते हैं कि दून में पिछले कुछ वर्षों में आकर्षक घोड़ों का कुनबा काफी बढ़ गया है। फिल्मी स्टाइल की बग्घियां भी खूब बनवाई जा रही हैं। इनमें बॉम्बे-टू-गोआ, बाहुबली, गोल्डन, सिल्वर और गरीब-अमीर बग्घियों के नाम सबसे ऊपर हैं।
दिल्ली वाली घोड़ी की कोई सानी नहीं, प्रिंस और पवन भी स्मार्ट
आशीष बताते हैं कि दून में सबसे खूबसूरत 60 इंच की दिल्ली वाली घोड़ी है। यह सफेद गुलाबी रंग में है। इसका दून में सर्वाधिक किराया लिया जाता है। उन्होंने बताया कि भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की शादी में उनके लिए भी यही घोड़ी भेजी गई थी।
इन घोड़ियों की भी मांग अधिक
– पंजाब से आई काजल सीधी और खूबसूरत है। पंजाब का जयमंगल अपनी सफेद आंखों की वजह से पसंद किया जा रहा है।
– परी की संतान और टट्टो सफेद गुलाबी रंग में हैं। दूधिया रंग की परी की जबरदस्त मांग है।
– पवन-बच्चा दूधिया के साथ काजल के बच्चे प्रिंस-नुकरा की जोड़ी की बग्घी खूब डिमांड में है।
इन बग्घियों का लेवल हाई
– बग्घियों में सबसे सुंदर और अधिक किराये वाली बॉम्बे-टू-गोआ बग्घी है। यह मवाना में तीन महीने में तैयार की गई थी। दून की महंगी शादियों में इसकी डिमांड होती है।
– अंग्रेजों के जमाने की तर्ज पर बनी विक्टोरियन बग्घी भी खूब पसंद की जाती है।
– लाल व सफेद बाहुबली बग्घी फिल्म बाहुबली की तर्ज पर सहारनपुर में बनाई गई है। उच्च घरानों की शादियों में बाहुबली बग्घी मंगाई जाती है।
– मुरादाबाद में बनी सिल्वर और गोल्डन बग्घी को आम लोगों में खूब पसंद किया जाता है।
घोड़े-घोड़ियों की सेहत और बग्घियों की सजावटघोड़े-घोड़ियों की सेहत का पूरा ख्याल रखा जाता है। इन्हें भूसा, चोकर, हरी दूब, चावल की भूसी, गुड़, चना खिलाया जाता है। इन्हें रोज घुमाना भी पड़ता है। एक माह प्रशिक्षण देकर घोड़े-घोड़ियों को बग्घी के लिए तैयार किया जाता है। बग्घियों में सजावट रजनीगंधा, गुलदावरी और गुलाब के फूलों की मदद से की जाती है।