Friday, February 07, 2025

Dehradun: सर्दियों में बच्चों को चाहिए विशेष देखभाल, वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ ने बताएं जरूरी टिप्स; इन बातों का रखें ख्याल

उत्तराखंड देहरादून

हेलो जागरण कार्यक्रम में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल कौशिक ने बच्चों से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बच्चों में बीमारी का एक आम कारण माना जाता है। इसके लक्षण नाक बंद होना कफ होना नाक बहना खांसी होना और सिर दर्द है। ये सब खासकर उन बच्चों में ज्यादा दिखाई देता है।

देहरादून। आपने महसूस किया होगा कि सर्दियों में बच्चे बार-बार बीमार पड़ने लगते हैं। ठंड के मौसम बच्चों में सर्दी, फ्लू और श्वसन संक्रमण जैसी बीमारियों में वृद्धि हो जाती है। ऐसे में बच्चों को लेकर खास एहतियात बरतने की जरूरत है।

रविवार को दैनिक जागरण की ओर से आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में श्री महंत इंदिरेश अस्पताल के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विशाल कौशिक ने बच्चों से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बताया कि अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन बच्चों में बीमारी का एक आम कारण माना जाता है। इसके लक्षण नाक बंद होना, कफ होना, नाक बहना, खांसी होना और सिर दर्द है।

ये सब खासकर उन बच्चों में ज्यादा दिखाई देता है जो स्कूल जाने वाले होते हैं। यह एक से दूसरे बच्चे में फैलता है। जरूरी यह है कि हम बच्चों को इन बीमारियों के खतरे से बचाने के लिए क्या उपाय कर रहे हैं।

कोरोनाकाल में हम मास्क, शारीरिक दूरी, सैनिटाइजेशन जैसी आदतों को अपने व्यवहार में ले आए थे, पर कोरोना खत्म होते ही यह आदतें भी हमने छोड़ दी। जबकि इन्हें अपनाकर आप सर्दी-खांसी, बुखार आदि से भी अपना बचाव कर सकते हैं।

जंक फूड को कहें ना

वर्तमान समय में बच्चों में जंक फूड का चलन तेजी से बढ़ा है। डा. विशाल कहते हैं कि जंक फूड में उच्च स्तर की कैलोरी, अस्वास्थ्यकर वसा, शर्करा और नमक होता है। जिस कारण कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

 

ऐसे में जंक फूड न खाकर एक स्वास्थ्यवर्धक विकल्प चुनना चाहिए। बच्चों को फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि ज्यादा दें। प्रसंस्कृत या प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के बजाय संपूर्ण खाद्य पदार्थों का चयन करें। पैक्ड फूड खरीदते समय लेबल को ध्यान से पढ़ें। अतिरिक्त शक्कर, अस्वास्थ्यकर वसा और सोडियम में कम उत्पादों की तलाश करें।

हेल्दी ग्रोथ के लिए नियंत्रित करें बच्चों का स्क्रीन टाइम

डॉ. विशाल का कहना है कि मौजूदा वक्त में बच्चों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। डिजिटल डिवाइस का अधिक उपयोग हमारी शारीरिक निष्क्रियता को बढ़ा देता है। इसके कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यह शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। इन खतरों को ध्यान में रखते हुए मोबाइल-कंप्यूटर के इस्तेमाल को सीमित रखने की आवश्यकता है।

बच्चे को भोजन करते वक्त न डालें मोबाइल की आदत

माता-पिता अक्सर छोटे बच्चों को मोबाइल पर कोई वीडियो दिखाते हुए खाना खिलाते हैं। डा. विशाल के अनुसार, ऐसा करने पर बच्चे का ध्यान खाने के बजाए मोबाइल पर होगा। इस स्थिति में मुंह से खाना पचाने में सहायक ग्रंथियां पूरी तरह सक्रीय नहीं हो पाती और पर्याप्त मात्रा में रसायन नहीं निकाल पाती। जिस कारण शरीर में पहुंचने वाला खाना पच ही नहीं पाता। ऐसे में कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

उनका कहना है कि माता-पिता बच्चे को इस तरह की आदतें कतई न डालें। उन्हें खाना खाते वक्त मोबाइल फोन बिल्कुल न दें। ऐसा करके आप उनका स्क्रीन टाइम तो बढ़ा ही रहे हैं, उन्हें बीमारी की ओर भी धकेल रहे हैं।

इन बातों का रखें ख्याल

  • सर्दियों में बच्चों के खानपान का विशेष ध्यान रखें। डाइट में अंडा, ड्राई फ्राइट्स, दूध, मौसमी फल-सब्जियां शामिल करें।
  • सर्दी में भूल से भी बच्चे को ठंडी चीजें ना खिलाएं। बासी या ठंडा खाना न दें।
  • गर्मी हो या सर्दी शरीर को हाइड्रेट रखना जरूरी है। ऐसे में पानी पर्याप्त मात्रा में दें।
  • अच्छी हाइजीन की आदत डालें, साफ-सफाई का ध्यान रखें।
  • यह जरूरी है कि बच्चा भरपूर आराम करे और अच्छी नींद ले।
  • बच्चे को बाहर निकलने पर अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • आप बाहर से आ रहे हैं तो बच्चे से मिलने से पहले हाथ अच्छी तरह धो लें।
  • अगर बच्चा ठीक महसूस नहीं कर रहा है, तो वायरस को फैलने से रोकने के लिए घर पर ही रहें।