Silkyara Tunnel Collapseसिलक्यारा सुरंग हादसे के बाद से ही लगातार यहां पर काम को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। इस हादसे की जांच को लेकर अब जांच भी जारी है। भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में चट्टानों का वर्गीकरण खराब से बहुत अच्छी के बीच किया गया था। केंद्रीय मार्ग परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उच्च सदन में राज्यसभा सदस्य व कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे के सवालों के जवाब दिए।
HIGHLIGHTS
- सिलक्यारा सुरंग हादसे की जारी है जांच
- नितिन गडकरी ने उच्च सदन में दिए कई सवालों के जवाब
- हादसे में सुरंग के अंदर फंस गए थे 41 श्रमिक
सिलक्यारा-बारकोट सुरंग परियोजना के शुरू होने से पूर्व तैयार की गई भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में चट्टानों का वर्गीकरण “खराब” से “बहुत अच्छी” के बीच किया गया था। गत 12 नवंबर को एक हिस्सा ढह जाने से निर्माणाधीन सुरंग में 41 मजदूर फंस गए थे। कड़ी मशक्कत के बाद 28 नवंबर को सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला था।
केंद्रीय मार्ग परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उच्च सदन में राज्यसभा सदस्य व कांग्रेस मल्लिकार्जुन खरगे के सवाल के जवाब में बताया कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सलाहकार द्वारा प्रस्तुत भूवैज्ञानिक रिपोर्ट में सिलक्यारा-बारकोट सुरंग (लंबाई 4.5 किमी) के लिए चट्टानों का वर्गीकरण खराब (चतुर्थ श्रेणी) से बहुत अच्छी (प्रथम श्रेणी) के बीच किया गया था। हालांकि ईपीसी ठेकेदार ने चट्टानों का वर्गीकरण बहुत खराब (श्रेणी-5) से सही (तृतीय श्रेणी) के बीच किया था।
समस्याओं के निपटारे के लिए किए गए हैं ये उपाय
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सुरंग निर्माण के दौरान रास्ते में पड़ने वाली कमजोर चट्टानों की समस्या से निपटने के लिए शाटक्रीट, फोर पोलिंग, राक बोल्ट, स्टील रिब्स, जाली गार्डर आदि अतिरिक्त सहायता प्रदान की गई। राष्ट्रीय राजमार्ग एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड हैदराबाद की नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड के माध्यम से सिलक्यारा-बारकोट सुरंग का निर्माण करा रहा है।
हादसे में फंसे थे 41 श्रमिक
बता दें कि उत्तराखंड में चारधाम परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में भूस्खलन के कारण 17 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाला गया था। देश से लेकर विदेश तक मशीनों को बुलाया गया था और लगातार प्रयास से 17वें दिन श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया था।
रैट माइनर्स ने कुछ घंटे में कर दिखाया कमाल
इन श्रमिकों को सुरक्षित निकालने वाले विभिन्न एजेंसियों के कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ रैट माइनर्स की भी प्रशंसा करनी होगी, जब मशीनों के जरिये बचाव अभियान को आगे बढ़ाने में कठिनाई पेश आई और यह लगा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने में कई दिनों की देर हो सकती है, तब परंपरागत उपकरणों से खोदाई करने वाले श्रमिकों यानी रैट माइनर्स ने कुछ घंटो में कमाल कर दिखाया।