Tiger Terror उत्तराखंड में बाघों का आतंक देखने को मिल रहा है। भीमताल विधानसभा क्षेत्र में इसी माह तीन लोगों की वन्यजीव के हमले में मौत हो चुकी है। संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार पहली दो घटनाओं को बाघ ने अंजाम दिया था। विधानसभा में बाघ महिलाओं को निवाला बना चुका है। अब तो लोग भी दहशत में हैं।
कई बार हिम्मती महिलाएं उससे भिड़कर खुद को बचा भी लेती थीं। लोगों की एक साथ संख्या ज्यादा होने पर गुलदार हमला करने से कतराता भी है लेकिन बाघ की बात और है। इस स्थिति में महिलाओं की सुरक्षा अब बड़ा मुद्दा बन गया है।
दो महिलाओं को बाघ ने बनाया शिकार
सात दिसंबर को भीमताल विधानसभा के मलुवाताल के कसाइल तोक में घास काट रही 35 वर्षीय इंद्रा देवी को वन्यजीव ने जान से मार दिया था। नौ दिसंबर को ग्राम पिनरो में खेत में काम कर रही 38 साल की पुष्पा देवी ने भी हमले में जान गंवा दी। मंगलवार शाम अलचौना के तोक ताड़ा में 19 साल की निकिता भी मारी गई थी। दूसरी तरफ वन विभाग असमंजस में था कि इन घटनाओं के पीछे गुलदार है या बाघ। लेकिन अब भारतीय वन्यजीव संस्थान की रिपोर्ट ने इंद्रा व पुष्पा की मौत के राज से पर्दा हटा दिया है।
बालों के सैंपल से खुला राज
संस्थान को घटनास्थल के पास से मिले वन्यजीव के बालों के सैंपल भेजे गए थे। पता चला कि ये बाघ के बाल है। डीएफओ नैनीताल चंद्रशेखर जोशी ने इसकी पुष्टि भी की है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पर्वतीय क्षेत्र में खेतों में काम करना और जंगल में घास काटने के लिए जाना स्थानीय महिलाओं की दिनचर्या का हिस्सा है। इनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी कौन लेगा?
भीमताल, जागेश्वर से बिनसर तक बाघ का डर
विधानसभा में बाघ महिलाओं को निवाला बना चुका है। अल्मोड़ा से 30 किमी दूर बांज के जंगल यानी ठंडे इलाके वाले बिनसर वन्यजीव अभयारण्य में बाघ नजर आ चुका है। वृद्ध जागेश्वर तक में लोगों के बाघ देखने पर विभाग गश्त में जुटा है। यानी पहाड़ के अधिकांश हिस्सों में बाघ ने डर का माहौल बना दिया है। वहीं नैनीताल जिले के रामनगर में दो माह के भीतर बाघ दो वन विभाग श्रमिकों के अलावा एक महिला को भी मार चुका है।