राममंदिर:15 दिन बाद जेल से छूटा तो ऐसा था हाल, मां ने भी नहीं पहचाना, महेंद्र भट्ट ने की आंदोलन की यादें साझा

उत्तराखंड देहरादून

सार

Ayodhya Ram Mandir movement:  उत्तराखंड भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने राम मंदिर आंदोलन की यादों को साझा किया। उन्होंने बताया कि 15 दिन बाद जब वह जेल से छूटे तो उन्हें कोई पहचान नहीं पाया। उनकी मां भी नहीं।

विस्तार

राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे नारों से मैदान से लेकर पहाड़ का हर शहर, कस्बा, नगर और गांव गूंज रहा था। विद्यार्थी परिषद का कार्यकर्ता होने के नाते मुझ पर युवाओं को राम मंदिर की कारसेवा से जोड़ने की जिम्मेदारी थी।

ऋषिकेश में आंदोलन के दौरान मैं गिरफ्तार हुआ और 15 दिन बाद जब जेल से छूटा तो मेरी दाढ़ी बढ़ गई थी। सूरत पहचानी नहीं जा रही थी। मां के सामने से गुजरा तो वह मुझे पहचान नहीं पाई। मैं समझा जेल जाने की वजह से शायद वह मुझसे नाराज है। लेकिन बाद में मां ने कहा कि वह मुझे मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी की वजह से पहचान नहीं पाई थी। 

वह दिन भुलाए नहीं भूलता। वर्ष 1994 से पहले का समय था। कार सेवक अयोध्या जाने को बेताब थे। बच्चा, जवान, बूढ़ा, हर किसी की जुबान पर एक ही नारा था, राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। मैं विद्यार्थी परिषद का संगठन महामंत्री था। मेरे पास ऋषिकेश का दायित्व था।

 

पौड़ी की कांसखेत जेल में ले जाया गया

ऋषिकेश में आंदोलन के दौरान सबसे पहली गिरफ्तारी मेरी और आरएसएस के तत्कालीन नगर कार्यवाह लाखी राम सेमवाल की हुई। हमें एक रात ऋषिकेश थाने के लॉक अप में बंद रखा गया। सुबह कैदी वाला एक वाहन वहां पहुंचा। उसमें वरिष्ठ भाजपा नेता हरबंस कपूर अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे।

हमें पौड़ी की कांसखेत जेल में ले जाया गया। वहां हम 15 दिन कैद रहे। चमोली, टिहरी व अन्य स्थानों के कार सेवक भी वहीं लाए गए थे। 15 दिन बाद जब छूटकर घर लौटे तो आंदोलन अपने चरम पर पहुंच चुका था। आखिर रामभक्तों का संघर्ष कामयाब रहा। करोड़ों रामभक्तों की अथक मेहनत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में अयोध्या में भव्य और दिव्य भगवान राम के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। 22 जनवरी को मुख्य प्राण प्रतिष्ठा समारोह होगा। भाजपा का हर कार्यकर्ता इस समारोह का हिस्सा बनेगा।