राजाजी में ग्रासलैंड विकसित किए जाने का फायदा देखने को मिल रहा है। 15 वर्षों बाद राजाजी में भारतीय हाग डियर (पाढ़ा) नजर आया है जिसे रिजर्व प्रशासन जैव विविधता की दृष्टि से अच्छे संकेत मान रहा है। पूर्वी राजाजी के चिल्लावाली रेंज में ग्रासलैंड के पास लगे कैमरे में हाग डियर की तस्वीर कैद की गई। यहां दो से तीन वर्ष पहले ही ग्रासलैंड विकसित किया गया।
HIGHLIGHTS
- राजाजी टाइगर रिजर्व की चिल्लावली रेंज में दिखा दुर्लभ हिरण
- बाघों की गणना के लिए लगाए गए कैमरा ट्रैप में तस्वीर कैद
देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व की चिल्लावली रेंज में ग्रासलैंड विकसित किए जाने के बाद दुलर्भ वन्यजीव भी राजाजी में विचरण करने लगे हैं। 15 वर्षों बाद राजाजी में भारतीय हाग डियर (पाढ़ा) नजर आया है, जिसे रिजर्व प्रशासन जैव विविधता की दृष्टि से अच्छे संकेत मान रहा है। ग्रासलैंड के कारण यहां वन्यजीवों की संख्या में और वृद्धि होने की उम्मीद है। वार्षिक बाघ गणना में जुटी टीम की ओर से लगाए गए कैमरा ट्रैप में हाग डियर की तस्वीर कैद हुई है।
राजाजी वन्यजीवों की बढ़ रही संख्या
गजराज का गढ़ कहे जाने वाले राजाजी टाइगर रिजर्व में अब तेजी से बाघ समेत अन्य वन्यजीवों की भी संख्या बढ़ रही है। प्रदेश स्तर पर की जा रही बाघों की गणना के लिए एक टीम राजाजी में भी सक्रिय है। इसके लिए टीम ने विभिन्न क्षेत्रों में कैमरा ट्रैप लगाए हैं।
पूर्वी राजाजी के चिल्लावाली रेंज में ग्रासलैंड के पास लगे कैमरे में हाग डियर की तस्वीर कैद की गई। यहां दो से तीन वर्ष पहले ही ग्रासलैंड विकसित किया गया। अनुकूल हैबिटेट के कारण हाग डियर के यहां पहुंचने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
बाघ गणना फेज-चार के राजाजी के समन्वयक वरिष्ठ पशु चिकित्सक राकेश नौटियाल ने बताया कि हाग डियर अनुकूल परिस्थितियां मिलने पर दूर-दूर तक अकेले विचरण करने निकल जाते हैं। औसत लगभग 0.70 वर्ग किमी क्षेत्र में ही यह हिरण विचरण करते हैं। खुले घास के मैदानों में एकत्रित होकर झुंड बनाते हैं। नर थोड़ा आक्रामक होता है, जबकि मादा शांत स्वभाव की होती है।