राम मंदिर आंदोलन के नायकों में शामिल स्वामी परमानंद ने धर्मनगरी की भूमिका बताई। कहा कि संघ के प्रयास में जब संत जुड़े तो कारवां बढ़ता गया और आज सफलता मिल ही गई।
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राम मंदिर आंदोलन में संघ ने राम, विहिप ने लक्ष्मण और संतों ने गुरु वशिष्ठ की भूमिका निभाई। मंदिर आंदोलन की मुख्य धारा के संवाहकों की करीब 200 बार बैठक, धर्मसभा, समिति की कार्यशाला धर्मनगरी में हुई। मेरी 90 वर्ष की आयु हो चली। मुख्य संवाहकों में श्रीराम जन्मभूमि न्यास क्षेत्र के अध्यक्ष नृत्य गोपालदास भी मुझसे तीन वर्ष छोटे हैं। यह अनूठा सौभाग्य है कि जिस आंदोलन की धारा में बहा और उसे अपनी आंखों से साकार होते देखना।
आंदोलन के उन दिनों को याद कर अब मन हर्षित हो रहा है। तमाम यातनाएं झेलनी पड़ी। युगपुरुष की उपाधि हासिल करने पर भी यह प्रसन्नता नहीं थी जो आज बलिदानी कारसेवकों के लिए सुखद अनुभूति कराने वाला दिन सुनकर हूं। तब रामदाना बेचने पर प्रतिबंध लग गया था। भगवाधारी को आतंकी कहा गया।
अयोध्या के नाम पर रेलवे टिकट लेने वालों को हर तरह की जांच से गुजरना पड़ता था। उन दिनों यह बोध होता था कि हम भारत भूमि नहीं बल्कि आततायियों के देश में हैं। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने सभी को एक सूत्र में पिरोये रखा। उनकी मित्रता को समाधि के साथ लेकर जाने की इच्छा थी, जो पूरी हो रही है।