हौसले से भर रहीं उड़ान: घर में चूल्हा-चौका संभालने वाले हाथों ने खूब लगाए चौके-छक्के, मैदान में ऐसे दिखाया दम

उत्तराखंड देहरादून

उत्तराखंड के पहाड़ में चूल्हा-चौका संभालने वाले हाथों को मौका मिला तो वे चौके-छक्के लगाने से भी पीछे नहीं रहे। किस्सा राज्य में सबसे अधिक पलायन का दर्द झेलने वाले पौड़ी जिले के बीरोखाल ब्लाक की फरसाड़ी न्याय पंचायत का है।

न्याय पंचायत के कुछ ऊर्जावान युवकों की कुंजेश्वर महादेव समिति है। यह समिति पिछले कई वर्षों से आसपास के गांवों के युवाओं की टीमों के बीच एक टूर्नामेंट कराती है। मगर इस वर्ष गांवों में टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए पुरुषों की टीम तक नहीं मिली।

न्याय पंचायत के तमाम गांवों से बड़ी संख्या में पुरुष व युवा पलायन कर चुके हैं। कोई पढ़ाई के नाम पर तो कोई रोजी-रोटी के लिए गांव छोड़ चुका है। समिति के सामने टूर्नामेंट कराने की चुनौती आ खड़ी हुई। समिति के उपाध्यक्ष मुकेश रावत बताते हैं, तभी हमारे मन में एक विचार आया।

क्यों न इस बार गांवों की महिलाओं की क्रिकेट प्रतियोगिता कराई जाए? पुरुषों के पलायन करने के बाद गांवों में ज्यादातर महिलाएं और बालिकाएं ही रह गई हैं। समिति के सदस्यों ने गांव-गांव जाकर पर्चे बांटे कि इच्छुक महिलाएं टीम बनाकर टूर्नामेंट में भाग ले सकती हैं।

Uttarakhand Pauri District Housewife Woman Playing Amazing Cricket in Local Tournament
उन्होंने बताया कि महिलाओं ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। देखते ही देखते आसपास के 32 गांवों की महिला टीमों ने टूर्नामेंट में खेलने की इच्छा जता दी। टूर्नामेंट से पहले ही गांवों के खेतों में बल्लेबाजी और गेंदबाजी की प्रैक्टिस करते वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगे। 15 दिन की बेसिक तैयारी के बाद ये टीमें न्याय पंचायत फरसाड़ी के उस शक्ति स्टेडियम में उतर गईं, जिसे स्थानीय ग्रामीणों ने अपने कठोर परिश्रम से तैयार किया है।
Uttarakhand Pauri District Housewife Woman Playing Amazing Cricket in Local Tournament
मनरेगा और विधायक निधि के सहयोग से तैयार इस स्टेडियम में बुधवार को नैनस्यूं और बैजरों गांव की टीमों की बीच सेमीफाइनल मुकाबला हुआ। इसमें कुसुम ने 18 गेंदों पर 47 रन बनाए जिनमें तीन चौके और दो छक्के थे। उसकी प्रतिभा देख हर कोई हैरान था। उन्होंने बताया कि कुसुम की टीम नैनस्यूं गांव से 10 किमी पैदल चलकर पहुंची थी। गांव के लिए जो सड़क प्रस्तावित है, वह सिस्टम की पेचदीगियों में इस कदर फंसी है कि उस पर काम ही शुरू नहीं हो पा रहा है।
Uttarakhand Pauri District Housewife Woman Playing Amazing Cricket in Local Tournament
इसलिए उसके गांवों से आई महिलाएं टूर्नामेंट के बहाने गांव की सड़क बनाने की मांग भी उठा रही हैं। कुसुम सरीखी कई बेटियों के टूर्नामेंट में शामिल होने के इस उत्साह ने खेल तंत्र के जिम्मेदार लोगों को यह संदेश साफ कर दिया कि उनकी निगाह उत्तराखंड के गांवों में पहुंचेगी तो वहां भी उन्हें कितनी ही हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना और शेफ़ाली वर्मा मिल जाएंगी। जरूरत सिर्फ इतनी है कि इन उत्साहित और जोशीली बेटियों को सुविधाएं मिल जाएं और उन्हें तराशने वाले द्रोणाचार्य।
Uttarakhand Pauri District Housewife Woman Playing Amazing Cricket in Local Tournament
पुरुष पलायन कर गए तो महिलाओं का टूर्नामेंट कराया। यह पूरी तरह से सफल रहा। पहला टूर्नामेंट था, इसलिए नियमों में ढील दी गई। लेकिन अगले साल इसे और व्यापक स्तर पर कराया जाएगा। हमारी पहाड़ की बेटियों ने दिखाया कि उनमें बेशुमार प्रतिभा है। जरूरत सुविधाओं और ट्रेनिंग की है। ये मिल जाए तो वे कमाल कर सकती हैं।
– मुकेश रावत, उपाध्यक्ष, कुंजेश्वर महादेव समिति।