Uttarakhand उत्तराखंड में खनन सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में से एक है। खनन से प्रदेश को हर साल 500 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। इस वर्ष प्रदेश सरकार ने खनन से 875 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया है। यद्यपि विभाग इस लक्ष्य को हासिल करने से अभी दूर है। अब सरकार खनन नीति में बदलाव की तैयारी कर रही है।
देहरादून। प्रदेश सरकार अब खनन नीति में बदलाव करने जा रही है। इस कड़ी में नीति में मशीनों से भी नदियों की सफाई करने की व्यवस्था का प्रावधान किया जाएगा। कुछ समय पहले ही सरकार को नदियों में मशीनों से सफाई की नैनीताल हाईकोर्ट ने सशर्त अनुमति दी है। इसके साथ ही नीति में खनन क्षेत्र को फिर से परिभाषित करने की भी तैयारी है।
प्रदेश में खनन सबसे अधिक राजस्व देने वाले विभागों में से एक है। खनन से प्रदेश को हर साल 500 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है। इस वर्ष प्रदेश सरकार ने खनन से 875 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य तय किया है। यद्यपि, विभाग इस लक्ष्य को हासिल करने से अभी दूर है।
हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश
प्रदेश में इस समय गंगा को छोड़ शेष नदियों में वैज्ञानिक तरीके से खनन की अनुमति दी गई है। गत वर्ष हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नदियों में मशीनों के प्रयोग पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि मशीनों से सफाई के स्थान पर नदियों में अवैध खनन किया जा रहा है।
मशीनों से नदियों में निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक खुदाई की जा रही है। इससे नदियों का स्वरूप बिगड़ रहा है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को अवैध खनन रोकने के लिए पुख्ता कार्य योजना प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
खनन नीति को बदलने पर हो रहा विचार
सरकार के अनुरोध पर खनन के उपयोग में मशीनों के सशर्त इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी। कहा गया था कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मशीनों का इस्तेमाल केवल सफाई कार्यों में ही किया जाए।
ऐसे में विभाग अब इस बिंदु को नीति में शामिल करने की तैयारी कर रहा है। इसके साथ ही खनन के मानकों को भी सख्त किया जाएगा। इसका प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जल्द ही इसे कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।