Harish Rawat Interview: वॉकओवर नहीं दिया, हर सीट पर लड़ रही कांग्रेस…हरदा ने बेबाकी से दिए सवालों के जवाब

उत्तराखंड देहरादून

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि हरिद्वार के साथ ही पहाड़ की सीटों पर हम कड़ी टक्कर देते और जीतने की स्थिति में दिख रहे हैं।

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पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के बारे में जो धारणा बनाई जा रही थी कि चुनाव एक तरफा है और पार्टी ने वॉकओवर दे दिया, यह गलत साबित हुआ है। चुनाव देखकर मैं दावे से कह सकता हूं कि कांग्रेस पूरी तरह लड़ती दिख रही है।

2009 के लोस चुनाव की स्थितियां बन रही हैं। तब हरिद्वार लोकसभा से सभी सीटों पर संदेश गया था। हरिद्वार के साथ ही पहाड़ की सीटों पर हम कड़ी टक्कर देते और जीतने की स्थिति में दिख रहे हैं। लोकसभा चुनाव में राजनीति की नब्ज टटोलने के लिए अमर उजाला के संपादक अनूप वाजपेयी, स्टेट ब्यूरो चीफ राकेश खंडूड़ी और मुख्य संवाददाता भूपेंद्र राणा ने पूर्व मुख्यमंत्री से अलग-अलग मुद्दों पर सवाल किए, जिनके जवाब उन्होंने बेबाकी के साथ दिए। पेश है साक्षात्कार के लिए प्रमुख अंश:-

सवाल : 2009 के लोस चुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटें जीतीं थी। इसके बाद 2014 व 2019 में कांग्रेस कुछ हासिल नहीं कर पाई। इस चुनाव में कांग्रेस मतदाताओं के बीच किन मुद्दों को लेकर जा रही है, जिससे वह उसे आत्मसात करें?

जवाब : 2014 का चुनाव एक असाधारण स्थितियों का चुनाव था। हमारे खिलाफ सत्तारोधी रुझान (एंटी इनकम्बेंसी) बना। दूसरी तरफ वे गुजरात का मॉडल लेकर आए। इस मॉडल के नायक ने लोगों के सामने हर खाते में 15 लाख, बेरोजगारों को दो करोड़ नौकरियां, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए काले धन की समाप्ति, किसानों की आय दोगुनी, सैनिकों को वन रैंक वन पेंशन देना एजेंडा रखा। इसका तोड़ हम तत्कालिक रूप से नहीं निकाल पाए। 2019 में भाजपा ने अपना एजेंडा बदल दिया। यूपी में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बात शुरू की। प्रचार किया कि कांग्रेस कब्रिस्तान पर ध्यान देती है, श्मशान घाट पर नहीं। ईद व दिवाली पर बिजली कम-ज्यादा देने का मुद्दा बनाया। उत्तराखंड भी उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहा है। यूपी में जो हवा चलती है, उत्तराखंड को प्रभावित करती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में हम जीतते-जीतते हार गए। 2022 में यही स्थितियां आईं। इसके बावजूद भी कांग्रेस अपनी जमीनी वोट बनाए रखने में कामयाब रही।

सवाल : इस चुनाव में पूरे देश और उत्तराखंड में पूर्व मंत्री व पूर्व विधायक कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं। इसे किस रूप में देख रहे हैं। क्या इन लोगों को लगता है कांग्रेस में भविष्य नहीं है?

जवाब : केंद्र सरकार ने अपना एजेंडा बनाया है कि विपक्ष को तोड़ना है। हम लंबे समय तक सत्ता में रहे। उन्हें कुछ न कुछ ढूंढने को मिल ही जाता है। उनको आधार बनाकर ईडी, आयकर, सीबीआई के केस बनाकर दबाव बनाया गया। अजीत पंवार सरीखे नेता, जिन्हें दो दिन पहले महाभ्रष्ट बता रहे थे दो दिन बाद साफ सुथरे हो गए। एक एजेंडा बनाकर प्रधानमंत्री ने एजेंसियों का भरपूर उपयोग किया। चुनाव में धनबल का इस्तेमाल हो रहा है। एक पूरी लिस्ट भाजपा ने बनाई है। देश की जनता को विचार करना है लोकतंत्र में सशक्त विपक्ष चाहता हैं या विपक्ष विहीन।

सवाल : इस बार लोस चुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटों में चार पर नये चेहरों को मैदान में उतारा है। क्या यह माना जाए कि कांग्रेस में दूसरी पीढ़ी के नेताओं का दौर शुरू हो गया है?

जवाब : स्वाभाविक रूप से उत्तराखंड में हम यह प्रयोग पहले से करते आएं हैं। 2002 में हमारे उम्मीदवारों को देखिए। बहुत से नए चेहरों को लेकर आए। आज वे कांग्रेस की मजबूत दीवार हैं। इस बार चुनाव में भी वीरेंद्र रावत, प्रकाश जोशी, गोदियाल भी हैं। उम्मीदवारों के चयन में पार्टी हाईकमान ने एक समन्वय बनाया है। जब चुनौती आई तो भाजपा अपने माल को वापस ले गई। गोदियाल ने कहा, मैं चुनौती स्वीकार करता हूं। मैंने अपने पुत्र से कहा, मैं शारीरिक रूप से अस्वस्थ हूं। मेरा पुत्र चुनौती लेगा।

सवाल : लेकिन भाजपा का कहना है कि हार के डर से कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव लड़ने से कन्नी काट गए?

जवाब : ऐसा नहीं है। पार्टी नेताओं ने तय किया कि चुनाव प्रचार का प्रबंधन को कौन करेगा। मैं इस समय प्रचार को धार देने का काम कर रहा हूं। यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह, करन माहरा पांचों सीटों को जिताने का के प्रयास में हैं। हमने चुनाव को संघर्ष में बदल दिया है। पौड़ी सीट कांग्रेस की झोली में है। हरिद्वार व अन्य सीटों पर टक्कर दे रहे हैं। भाजपा की बेचैनी बढ़ गई है। वह धन व सत्ता का भरपूर उपयोग कर रही है।

सवाल : हरिद्वार सीट पर आप अपने बेटे के चुनाव प्रचार की बागडोर संभाल रहे हैं, जबकि उम्मीद की जा रही थी कि आप चुनाव लड़ेंगे? क्या अब कभी चुनाव नहीं लड़ेंगे?

जवाब : आपने गहरा सवाल किया। अक्तूबर में मेरा एक्सीडेंट हुआ। उसके बाद शारीरिक स्थिति में गिरावट आई है, जिससे एक उम्मीदवार के रूप में चुनाव अभियान नहीं चला सकता है, लेकिन एक सप्लीमेंट के रूप में चल सकता था। 10 के अभियान के बाद भी मैं अपने आप को तरोताजा महसूस कर रहा है।

सवाल : प्रचार के डिजिटल माध्यमों के दौर में भी आप पदयात्रा कर रहे हैं। पदयात्रा के जरिए आप क्या संदेश देना चाहते हैं।

जवाब : हमारे पास मीडिया को इन्फ्लूएंश करने की क्षमता नहीं है। ये बड़े-बड़े पूंजीपतियों के हाथ में है। सोशल मीडिया में भाजपा ने ट्रोल और अन्य माध्यमों से हाईजैक कर दिया। हमारे पास इसका एक तोड़ है कि अब सीधे जनता के बीच जाकर संवाद करें। मैं सभी उम्मीदवारों से यह बात कह रहा हूं कि जनता के बीच जाकर संवाद करें।

सवाल : आमतौर पर पार्टी पूरे प्रदेश में आपको स्टार प्रचारक या चेहरे की तरह इस्तेमाल करती रही। क्या आप अन्य सीटों पर प्रचार के लिए जाएंगे?

जवाब : बिलकुल जाऊंगा। हरिद्वार के प्रचार को धार देकर फिलहाल समय निकाल कर अन्य सीटों में भी जाऊंगा।

सवाल : कांग्रेस के भीतर ही चर्चा है कि हरीश रावत मैदान में होते तो बात अलग होती। आप कैसा महसूस करते हैं इस बात। आपके बगैर वीरेंद्र कितने क्षमतावान हैं?

जवाब : प्रारंभ में ये चर्चा थी। पार्टी ने जब उन्हें उम्मीदवार बनाया तो शुरुआत में मैं भी चिंतित था। दो तीन दिन देखा तो महसूस किया कि वह खुद चुनाव लड़ सकते हैं। एक बार हरिद्वार का चुनाव उठ जाए तो उसका प्रभाव पांचों सीटों पर पड़ता है। 2009 में इस चमत्कार ने मेरा साथ दिया। उसका प्रभाव सभी सीटों पर पड़ा। इस बार भी उसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। जिस कारण मैं हरिद्वार में ज्यादा समय दे रहा हूं, लेकिन अब उम्मीदवारों को देखने के बाद लोग वीरेंद्र के बारे में कह रहे हैं कि वह हरीश रावत के अच्छे रिप्लेसमेंट हैं। वीरेंद्र ने अपनी क्षमता का आभास हरिद्वार की जनता को दे दिया है। वह अपना चुनाव अभियान स्वयं संचालित कर रहे हैं। शुरुआत में उनके साथ रहा। बात करने के तौरतरीके को देखा तो उनमें एक परिपक्व नेता की झलक देखी। वह पिता के राजनीतिक प्रयासों के सहयोग करते थे।

जिसमें क्षमता होगी, वो मेरी राजनीतिक विरासत संभालेगा

सवाल : विधानसभा में बेटी अनुपमा स्थापित हो गई, बेटे वीरेंद्र लोस चुनाव में उतरे हैं, क्या यह माना जाए कि आपने अपनी राजनीतिक विरासत बच्चों को सौंप दी?

जवाब : विरासत तो मेरा वही साथी संभालेगा, जिसमें क्षमता होगी। जो उत्तराखंड के सवालों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने और समाधान करने की क्षमता रखेगा। मैंने राज्य आंदोलन पर गंभीरता से विचार किया और एक सोच बनाई। 2014 से 2016 में अपनी सरकार के समय गहनता से काम किया। इस सोच को आज माना जा रहा है। मुझे अच्छा लगता है कि आज धामी से थोड़ी-थोड़ी उसकी नकल कर रहे हैं।

मेरे एजेंडे को हाईजैक नहीं कर सकते-

सवाल : तो क्या आप यह कहना चाहते हैं कि भाजपा ने आपके एजेंडे को हाईजैक कर लिया?

जवाब : जब तक उत्तराखंडियत की समग्र समझ नहीं होगी, तब तक पूरी तरह से हमारे एजेंडे को हाइजैक नहीं कर सकते। हमने टोपी तय की। अब मोदीजी उसे अपने प्रतीक के रूप में गढ़ रहे हैं। पलायन को रोकने के लिए हमने जो पहल की है, भाजपा उसे नहीं मार रही है। आज पलायन एक गंभीर समस्या है। हमारी उत्तराखंडियत हमारी सोशल, इकॉनोमिक, संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहर, जलवायु एक काम्पैक्ट आइडिया है। उस आइडिया पर जब तक काम नहीं करेंगे, तब तक छोटे-छोटे टुकड़ों को उठाकर सिर्फ एक नकलची हो सकते हैं। उत्तराखंडियत की समस्या का समाधान नहीं कर सकते।

हरिद्वार में किसानों का उत्पीड़न हुआ, बेरोजगारी का दंश झेल रहा—

सवाल : हरिद्वार लोस सीट पर कांग्रेस के पक्ष में ऐसा क्या है, जिससे प्रभावित होकर मतदाता कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में वोट करें?

जवाब : हरिद्वार में किसानों का उत्पीड़न और अपमान हुआ। बड़ी प्राकृतिक आपदा में किसानों के खेत डूब गए। धान, गन्ना व चरी बर्बाद हो गई। सरकार ने 1,100 रुपये प्रति बीघा मुआवजा दिया, जो एक तरह अपमानकारी है। यह भी चुनिंदा भाजपा लोगों को दिया। गन्ना किसानों का बकाया है। किसान परेशान हैं। बेरोजगारी चरम पर है। कांग्रेस के समय बड़ा रोजगार मिला था। 32 हजार नौकरियां मेरे कार्यकाल में दी गईं। अब सरकारी भर्तियों नहीं के बराबर हैं। उद्योग बंद हो रहे हैं। नौकरियों का सूखा है। हरिद्वार बेरोजगारी का दंश महसूस कर रहा है। आंतरिक सड़कों की हालत बहुत खराब है। वहां के लोग विकास को जर्जर अवस्था में देख रहे हैं। दलितों व महिलाओं पर अत्याचार की घटनाएं बढ़ी है।

मोदी के मोहपाश से बाहर आएगा उत्तराखंड

सवाल : भाजपा कह रही है कि प्रदेश की जनता पीएम मोदी के जादुई व्यक्तित्व की मुरीद हैं। आपको क्या लगता है भाजपा या मोदी के मैजिक से निपटने के लिए कांग्रेस को क्या रणनीति है।

जवाब : जादू कुछ समय तक चलता है। उसके बाद जादूगर की हकीकत मालूम है। जादू के चोले के नीचे महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, वैमनष्य आज लोगों को दिखाई दे रहा है। किसान व मजदूर विरोध खंजर नजर आ रहे हैं। उत्तराखंड इस चुनाव में मोदी के मोहपाश से बाहर आएगा।