Dehradun News: भू-धंसाव की दृष्टि से संवेदनशील एरिया का पौधे लगाकर होगा ट्रीटमेंट

उत्तराखंड देहरादून

मसूरी के आसपास भविष्य में जोशीमठ जैसी स्थिति नहीं हो इसको लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद शासन-प्रशासन हरकत में आ गया। मसूरी के 9 संवेदनशील क्षेत्रों में पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन के कार्य को लेकर सोमवार को मसूरी वन प्रभाग में विभिन्न विभागों के अधिकारियों की बैठक हुई। अधिकारियों ने कहा कि वन विभाग के क्षेत्र में ट्रीटमेंट का कार्य वन विभाग ही करेगा। वन विभाग से बाहरी क्षेत्र का ट्रीटमेंट कार्य करने वाली एजेंसी का चयन सरकार करेगी। अधिकारियों की टीम ने संवेदनशील क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण भी किया।

एडीएम राम जी शरण ने बताया कि एनजीटी के निर्देश के बाद मुख्यसचिव की अध्यक्षता में कुछ समय पूर्व बैठक हुई थी। जिसमें एक कमेटी का गठन किया गया था। जिसमें मसूरी भू-धंसाव एरिया में काम करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग को अधिकृत किया गया। सोमवार को आपदा प्रबंधन विभाग सचिव डाॅ. रंजीत कुमार सिन्हा की ओर से बैठक की गई। जिसमें मसूरी के 9 संवेदनशील क्षेत्रों के ट्रीटमेंट को लेकर विस्तार से चर्चा की गई। संवेदनशील क्षेत्र में बड़े स्तर पर देवदार, बांझ समेत अन्य प्रजातियों का पौधरोपण करने सहित कई बिंदुओं पर चर्चा हुई, ताकि भविष्य में भूस्खलन को रोका जा सके। बैठक में एसडीएम डाॅ. दीपक सैनी, रेंज अधिकारी शिव प्रसाद गैरोला, डिप्टी रेंजर जगजीवन लाल आदि मौजूद रहे।

डिग्रेडेड एरिया के उपचार के लिए क्षेत्र चिह्नित

मसूरी वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी डाॅ. उदय गौड़ ने बताया कि मसूरी के आसपास भू-धंसाव और डिग्रेडेड एरिया में उपचार के लिए एनजीटी के निर्देश के क्रम में शासन-प्रशासन, वन विभाग, लोनिवि, सिंचाई विभाग, भूगर्भ, नगर पालिका के अधिकारियों की बैठक हुई। जिसमें नगर पालिका क्षेत्र में डिग्रेडेड एरिया के उपचार के लिए क्षेत्र चिह्नित किए गए। इनमें मसराना, कफलानी, बाटाघाट जबरखेत, सिविल अस्पताल से नीचे का एरिया, बाईपास रोड, एनपीपी लैंड, जेपी बैंड के निकट, टिहरी बस स्टैंड साइट हैं।