संदिग्ध रेडियोएक्टिव उपकरण मामले में अभी पुलिस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है। आरोपी ने राजस्थान में हुई एक ठगी से प्रेरित होकर इस तरह का षडयंत्र रचा था।
संदिग्ध रेडियोएक्टिव उपकरण अभी तक पुलिस के लिए पहेली बना हुआ है। पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार तो किया लेकिन उनसे पूछताछ में हर दिन एक नई जानकारी मिली। अब इतना तो पता चला कि यह उपकरण नकली है, लेकिन किसने और कब इसे बनाया इसकी कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पा रही है।
अलबत्ता अब पुलिस ने उस डीलर को पूछताछ के लिए बुलाया है जो इसे खरीदने के लिए देहरादून आने वाला था। बताया जा रहा है कि उसके पास ऐसे उपकरणों को खरीदने का लाइसेंस है, लेकिन वह अपने साथ कोई दस्तावेज लेकर नहीं पहुंचा है। पिछले शुक्रवार को पुलिस ने राजपुर क्षेत्र में पूर्व आयकर अधिकारी श्वेताभ सुमन के घर पर छापा मारकर पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया था।
इनके पास से एक संदिग्ध रेडियोएक्टिव उपकरण बरामद हुआ था। उस वक्त एसडीआरएफ ने इसकी जांच की तो पता चला कि इसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ हो सकता है। लेकिन, अगले दिन जब नरौरा से आई टीम ने इसकी जांच की तो इसमें रेडियोएक्टिव पदार्थ न होने की पुष्टि हुई। आरोपियों सुमित पाठक और तबरेज आलम से पूछताछ हुई तो उन्होंने पुलिस के सामने सहारनपुर निवासी राशिद का नाम लिया। बताया कि उसने उन्हें यह उपकरण बेचा था। लेकिन, अगले दिन जब राशिद गिरफ्तार हुआ तो कहानी कुछ और निकली।